नई दिल्ली. भारत के सबसे बड़े मॉर्गेज टेक प्लेटफॉर्म Urban Money ने पिछले तीन वर्षों में अपनी आय में 10 गुना वृद्धि दर्ज की है। कंपनी का लक्ष्य है कि वह वित्त वर्ष 2026 (FY26) तक ₹1,000 करोड़ से अधिक का राजस्व हासिल करे।
Urban Money का राजस्व FY25 में बढ़कर ₹714 करोड़ हो गया, जो FY23 की तुलना में तीन गुना से अधिक है। कंपनी की यह तेजी उसके मॉर्गेज ओरिजिनेशन बिजनेस के विस्तार और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के सशक्त उपयोग से संभव हुई है।
कंपनी का डिजिटल प्लेटफॉर्म API-आधारित KYC, इनकम और क्रेडिट स्कोर वेरिफिकेशन, और बैंकों के लोन ओरिजिनेशन सिस्टम्स से डायरेक्ट इंटीग्रेशन प्रदान करता है। इससे लोन अप्रूवल और डिस्बर्सल की प्रक्रिया पांच मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाती है।
Urban Money पूरी तरह पेपरलेस मॉर्गेज प्रोसेसिंग मुहैया कराता है, जो क्रेडिट ब्यूरो, बैंकों और NBFCs से जुड़कर पहचान, पते और आय का स्वचालित सत्यापन करता है।
कंपनी के पास 1.5 लाख से अधिक चैनल पार्टनर्स और 95+ बैंकिंग व NBFC साझेदार हैं, जो मॉर्गेज डिस्ट्रीब्यूशन को बड़े पैमाने पर सक्षम बनाते हैं। कंपनी के कुल कारोबार का लगभग 87% हिस्सा उसके एग्रीगेशन मॉडल से आता है, जो छोटे रियल एस्टेट एजेंट्स और स्वतंत्र वित्तीय सलाहकारों को लेंडिंग संस्थानों से जोड़ता है।
Urban Money का ग्रॉस ट्रांजैक्शन वैल्यू (GTV) FY21 में $0.2 बिलियन से बढ़कर FY25 में $5.7 बिलियन तक पहुंच गया है। FY22 से FY25 के बीच कंपनी का राजस्व 120% CAGR और GTV 102% CAGR की दर से बढ़ा, जो डिजिटल लेंडिंग में उसकी स्केलेबिलिटी और दक्षता को दर्शाता है।
Urban Money के को-फाउंडर और CBO अमित प्रकाश सिंह ने कहा,
“भारत का क्रेडिट इकोसिस्टम तेजी से बढ़ा है, लेकिन एक्सेस और अवेयरनेस अभी भी असमान है। लगभग आधे शहरी पात्र वयस्क अभी भी औपचारिक क्रेडिट चैनलों का उपयोग नहीं करते। पहली बार घर खरीदने वालों के लिए लोन की प्रक्रिया जटिल और पेपरवर्क-भरी होती है। हमारा उद्देश्य इसे पारदर्शी और तकनीक-आधारित प्लेटफॉर्म के जरिए आसान बनाना है, ताकि उधारकर्ता, सलाहकार और लेंडर एक ही नेटवर्क पर जुड़ सकें।”
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