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देश की डीजल खपत में हो सकता है रिकॉर्ड इजाफा

नई दिल्ली. इस साल भारत की डीजल खपत में रिकॉर्ड इजाफा होने के आसार हैं। अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर मौजूदा सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे पर अधिक व्यय के कारण ऐसा हो सकता है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपयोगकर्ता भारत में डीजल की खपत बढऩा वैश्विक तेल मांग के संचालक के रूप में देश के महत्त्व को दर्शाता है। आर्थिक वृद्धि में नरमी के कारण 2019 में कच्चे तेल की मांग में गिरावट की आशंका के परिणामस्वरूप बढ़ रही चिंताओं के बीच भारत में ईंधन की खपत बढऩे से तेल और ईंधन के दामों का सहारा मिल सकता है। फिच सॉल्युशन के विश्लेषक और वुड मैकिंजी के सलाहकारों का पूर्वानुमान है कि 2018 की तुलना में 2019 में भारत की डीजल मांग में क्रमश: 5.7 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत का इजाफा होगा। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में देश ने प्रति माह 69 लाख टन डीजल या प्रतिदिन लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) डीजल उपभोग किया है। देश की शीर्ष रिफाइनर इंडियन ऑयल के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के कारण निश्चित रूप में ऊर्जा की जोरदार मांग है।                                                                                                                                                 हमारी अर्थव्यवस्था डीजल चालित है। शुद्ध आय बताती है कि ऊर्जा की मांग पक्के तौर पर बढऩे वाली है। हमें जीडीपी सात प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-2019 के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत तक वृद्धि की उम्मीद है जबकि पिछले वर्ष यह वृद्धि 6.7 प्रतिशत थी। फिच सॉल्युशन के विश्लेषक पीटर ली ने कहा कि देश के जीडीपी के रचनात्मक परिदृश्य के साथ-साथ देश की सकारात्मक जनसांख्यिकी वाहनों तक कम पहुंच और लोचदार मौद्रिक नीति के मद्देनजर हमारा पूर्वानुमान है कि वाहन बिक्री में तेज वृद्धि होगी जो डीजल के लिए सकारात्मक रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में नए वाहनों में डीजल कारों की हिस्सेदारी करीब एक-चौथाई रहती है। अंतरराष्ट्रीय मोटर वाहन विनिर्माता संगठन के 2015 के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 22 कारें थीं जबकि अमेरिका में प्रति 1000 व्यक्तियों पर 821 कारें थीं।

चुनाव से मिलेगी मांग को रफ्तार

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने चुनावों से पहले बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जो योजना तैयार की है उसके साथ-साथ चुनावी रैलियों, मतदान अधिकारियों और सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती से डीजल की मांग में इजाफा होगा। हाल में ही देश का अंतरिम बजट पेश किया गया था जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए 190 अरब रुपये आवंटित किए गए जहां दो-तिहाई भारतीय रहते हैं। वुड मैकिंजी के शोध विश्लेषक अमन वर्मा ने कहा कि चुनाव से पहले बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन और प्रचार के लिए यात्राएं करने से 2019 की पहली छमाही में डीजल की मांग में तेजी आएगी। 2014 में पिछले आम चुनावों के दौरान चुनाव वाले महीनों में मासिक डीजल बिक्री औसतन 62 लाख टन थी जो उस वर्ष की औसत मासिक बिक्री से सात प्रतिशत अधिक रही। राष्ट्रव्यापी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया जाना भी डीजल की मांग के लिए फायदेमंद रहा है। वुड मैकिंजी के वर्मा ने कहा कि जीएसटी ने अंतरराज्यीय करों को हटा दिया है। यह एक संरचनात्मक बदलाव है जिससे भारी और मध्य श्रेणीवाले ट्रकों की मांग में वृद्धि हुई है।

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