नई दिल्ली। इस बार मॉनसून की बारिश में लगभग तीन सप्ताह का विलंब हो जाने से कृषि उत्पाद कंपनियों पर प्रभाव पडऩे की आशंका है। चालू वर्ष में उनके मार्जिन में सिर्फ एक अंक की वृद्घि का अनुमान है। पश्चिमी और दक्षिण भारतीय राज्यों में सूखे की वजह से कृषि कंपनियों और किसानों दोनों ने अपने व्यवसाय से दूर रहने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया है। जहां किसानों ने बड़े खेतों में इस्तेमाल से पहले सफलता के लिए छोटे हिस्सों में बीजों, उर्वरक और कृषि रसायनों की जांच शुरू कर दी है, वहीं कृषि उत्पाद कंपनियों ने ऋण सुविधा के साथ किसानों को लुभाना शुरू किया है।
मॉनसून की कमजोर बारिश को ध्यान में रखते हुए घरेलू कृषि रसायन सेगमेंट में एक अंक की वृद्घि दर्ज किए जाने का अनुमान है। फसल की बुआई प्रभावित हुई है जिससे उर्वरक सेगमेंट में बिक्री पर दबाव पडऩे की आशंका है। कृषि रसायन और उर्वरक कंपनियों, दोनों के लिए मार्जिन एडलवाइस सिक्योरिटीज के विश्लेषक रोहन गुप्ता का कहना है कि कच्चे माल की सामान्य कीमतों को देखते हुए स्थिर रहने का अनुमान है। हालांकि निर्यात व्यवसाय से जुड़ी कंपनियों द्वारा किसी एक क्षेत्र में बिक्री में गिरावट की भरपाई अन्य क्षेत्र में अच्छी स्थिति से किए जाने की संभावना है। यूपीएल, शारदा क्रॉपकेम और रैलिस इंडिया जैसी कंपनियों द्वारा यूरोप और लैटिन अमेरिकी देशों में अनुकूल जलवायु स्थिति के आधार पर 8 और 10 प्रतिशत के बीच राजस्व वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ताजा वृद्घि के साथ साथ किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य से किसानों की आय बढऩे की संभावना प्रबल होती दिख रही है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा पेश योजनाओं, खासकर प्रत्यक्ष आय सहायता से कृषि उत्पादों की खपत बढ़ सकती है। वैश्विक कृषि रसायन चक्र में तेजी और मजबूत ऑर्डर बुक पीआई इंडस्ट्रीज और एसआरएफ जैसी अनुबंध, शोध एवं निर्माण सेवा (सीआरएएमएस) कंपनियों के लिए शुभ संकेत है। गुप्ता का कहना है कि हालांकि सीआरएएमएस कंपनियों के मूल्यांकन में तेजी से धानुका एग्रीटेक जैसी घरेलू फॉर्मूलेशन कंपनियों ने अनुकूल रिस्क-रिवार्ड की पेशकश की है।
मॉनसून में विलंब चिंता का विषय है क्योंकि इससे बुआई में देरी हुई है। कोटक सिक्योरिटीज में विश्लेषक पंकज कुमार का कहना है कि लेकिन जुलाई में अब तक अच्छी बारिश से बारिश में कमी की समस्या घटने और कृषि रसायनों के लिए मांग बढऩे की संभावना है।
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