मंगलवार, अक्तूबर 21 2025 | 01:40:02 PM
Breaking News
Home / बाजार / कपास के ऊंचे दाम से तिरुपुर का कपड़ा उद्योग वीरान

कपास के ऊंचे दाम से तिरुपुर का कपड़ा उद्योग वीरान

jaipur: तिरुपुर की गलियों में कपड़ों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों और रंगों की गंध पसरी रहती है। यहां रहने वाले परिवारों का कम से कम एक व्य​क्ति कपड़ा और परिधान उद्योग से जुड़ा है, जहां बनने वाले होजरी, निटवियर, कैजुअलवियर और स्पोर्ट्सवियर देश भर में बेचे जाते हैं। इन दिनों भी रसायनों और डाई की गंध तमिलनाडु के इस शहर में फैली है, लेकिन कारोबारियों का हौसला कुछ कमजोर है। इसकी वजह कपास और यार्न (धागा) के दाम में जबरदस्त बढ़ोतरी है, जिसके कारण कारखाने कम क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और थोक दुकानों में वीरानी छाई है। बाजार में ग्राहक बमुश्किल ही नजर आ रहा है।

खादरपेट में केसी अपैरल्स नाम से कपड़े की थोक दुकान चलाने वाले जाकिर अहमद ने कहा, ‘तिरुपुर पहले कभी ऐसा नहीं था। गलियों में हर समय भीड़ रहती थी और व्यस्त महीनों में हजारों लोग हमारी दुकानों पर आते थे।’ खादरपेट रेलवे स्टेशन के सामने ही शहर का सबसे बड़ा थोक कपड़ा बाजार है।

पिछले वित्त वर्ष में देश के कुल कपड़ा निर्यात में तिरुपुर की हिस्सेदारी करीब 54.2 फीसदी थी। महामारी के बावजूद 2021-22 में यहां से 33,525 करोड़ रुपये मूल्य के कपड़ों का निर्यात किया था, जो देश के कुल निर्यात राजस्व का करीब 1 फीसदी है। देसी बाजार को भी इसमें शामिल कर दें तो तिरुपुर से सालाना 75,000 करोड़ रुपये के कपड़ों की बिक्री हाती है।

स्पोर्ट्सवियर के कुछ पीस अपने हाथ में पकड़े अहमद कहते हैं, ‘दो महीने पहले तक इसकी लागत 100 रुपये प्रति नग थी, जो अब बढ़कर 130 रुपये हो गई है। इससे पता चलता है कि दाम कितने बढ़ गए हैं। लेकिन दाम में बढ़ोतरी कपास तथा यार्न की कीमतों में तेजी का एक अंश भर है। हमारे पास बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर डालने की बहुत कम गुंजाइश है।’

खादरपेट में ही थोक दुकान चलाने वाले 30 वर्षीय शेख जे ने कहा कि यह लघु उद्यम है लेकिन पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कपड़ा उद्योग पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि थोक बाजार में बिक्री 30 फीसदी तक घट गई है। कपास और यार्न की कीमतों में उछाल से हम जैसे लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है।

उद्योग सूत्रों प्राप्त आंकड़ों के अनुसार यार्न के दाम 112 फीसदी बढ़ गए हैं। जून 2021 में दाम 210 रुपये प्रति किलोग्राम थे और अब बढ़कर 446 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं।

डोमेस्टिक गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन के सचिव रवि चंद्रन ने कहा, ‘अ​धिकतर कपड़ा इकाइयों में काम घट गया है। हम चाहते हैं कि सरकार यार्न के दाम में कमी लाने के उपाय करे वरना हमारा मार्जिन काफी कम रह जाएगा क्योंकि बढ़ी लागत का पूरा भार हम खरीदारों पर नहीं डाल सकते।’

Check Also

अर्था ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड को डिस्ट्रेस्ड डेट निवेश से 6 गुना रिटर्न

मुंबई. अर्था ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड (Artha Global Opportunities Fund), जो GIFT सिटी (गांधीनगर) में स्थानांतरित …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *