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अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की जयपुर यात्रा, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने इंडो-यूएस साझेदारी पर रणनीतिक संवाद में भाग  लिया

वैश्विक नीति संवाद में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की भूमिका हुई और मजबूत

 

जयपुर.: जयपुर स्थित स्वास्थ्य प्रबंधन अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी विश्वविद्यालय, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी को उस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति श्री जेडी वेंस ने अपनी आधिकारिक भारत यात्रा के दौरान एक प्रभावशाली संबोधन दिया। जयपुर में राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में नीति निर्माता, शिक्षाविद और विचारक एक साथ आए और उन्होंने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के विकास और बदलते स्वरूप पर चर्चा की।

 

 

इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट डॉ. पी.आर. सोडानी के नेतृत्व में किया गया। प्रतिनिधिमंडल में सात संकाय सदस्य एवं कर्मचारी, तथा 23 छात्र शामिल थे, जिन्हें विशेष रूप से इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। इस भागीदारी से न केवल विश्वविद्यालय की वैश्विक नीति संवाद में बढ़ती भूमिका उजागर होती है, बल्कि यह वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों, नीतियों और सतत विकास में सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

 

आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी.आर. सोडानी ने कहा: “इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनना हमारे लिए अत्यंत सम्मान की बात थी, और इस दौरान उपराष्ट्रपति वेंस द्वारा प्रस्तुत भारत-अमेरिका गठबंधन की दूरदृष्टि को सुनना एक प्रेरणादायक अनुभव रहा। इस प्रकार के उच्च-स्तरीय वैश्विक संवाद युवाओं को सशक्त बनाते हैं, उनके दृष्टिकोण को व्यापक करते हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवं नीतियों की गहरी समझ प्रदान करते हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में हमारा प्रयास यही है कि हम अपने छात्रों को कक्षा से बाहर भी ऐसे अवसर प्रदान करें जो उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य, प्रबंधन और विकास के क्षेत्रों में दृष्टिकोण, जिम्मेदारी और वैश्विक सोच के साथ नेतृत्व करने के लिए तैयार करें।”

 

अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने अपने दूरदर्शी भाषण में 21वीं सदी में भारत-अमेरिका संबंधों के महत्व पर ज़ोर दिया, विशेष रूप से रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्रों में। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों के बीच वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों लोकतंत्रों के बीच घनिष्ठ सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी के अधिग्रहण और ऊर्जा, विशेष रूप से परमाणु और अपतटीय गैस में विस्तारित सहयोग सहित रक्षा सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। इसके अलावा, उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में आशाजनक प्रगति की घोषणा की, तथा 2030 तक व्यापार की मात्रा को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया।

 

अमेरिकी उपराष्ट्रपति के विचारों और आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जैसे शिक्षण संस्थानों की उपस्थिति ने यह स्पष्ट किया कि उच्च शिक्षा और अनुसंधान राष्ट्रों के बीच कूटनीति, नवाचार और सतत साझेदारी को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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