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राज्यसभा में संवैधानिक दर्जा वाले राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग

नई दिल्ली। किसान और खेती की हालत में सुधार लाने के लिए राज्यसभा में सभी दलों ने राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन के प्रस्ताव का समर्थन किया। आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और देश की खाद्य सुरक्षा को संभालने वाले किसानों को भारत रत्न जैसे सम्मान से भी नवाजे जाने की मांग उठाई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह संकल्प रखते हुए पूरे सदन से समर्थन मांगा, जिसे सभी दलों के सदस्यों ने सराहा। सदन में बहस के दौरान कृषि क्षेत्र में सरकार के कई उपायों की आलोचना भी की गई।

सांसद तोमर ने अपना प्रस्ताव पेश करते हुए किसानों की बातों को उठाने के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग करते हुए संवैधानिक अधिकारों से लैस करने की बात कही। तोमर ने केंद्र सरकार के पीएम-किसान निधि के तहत किसानों को दी जा रही छह हजार रुपये की सालाना मदद को भी बढ़ाकर 10 हजार करने का प्रस्ताव भी रखा, जिसे सदन ने सराहा। उन्होंने कहा कि देश का पेट भरने के साथ खाद्य सुरक्षा जैसे संवेदनशील मसले पर अपना खून पसीना बहा रहा है, जिसके लिए उसे शीर्ष सम्मान से नवाजने की जरूरत है।

देश की 70 फीसदी आबादी खेत के सहारे
सदन में अपना संकल्प पेश करते हुए तोमर ने कहा कि भारत मूलत: कृषि आधारित आर्थिक व्यवस्था वाला देश है। देश की 55 फीसदी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। जबकि 15 फीसदी आबादी कृषि से संबंधित कार्य में लगी हुई है। यानी देश की 70 फीसदी आबादी खेती के सहारे है। देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य देना होगा।

तीन फसलों की क्षमता, फिर भी बढ़ रही हैं खुदकशी
बहस की शुरुआत करते हुए तोमर ने कहा कि भारत में तीन फसलों की खेती की क्षमता है। फिर भी किसानों में खुदकशी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। किसानों की जान बचाने के लिए कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में सरकार को उचित कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि खुदकशी रुकने से सिर्फ किसानों की जान नहीं बचेगी, बल्कि इस देश की खेती और परंपरा संरक्षित होगी। कृषि के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली प्रौद्योगिकी और तकनीकों के बारे में किसानों को जागरुक बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी योजना की सफलता तभी संभव होगी, जब किसानों को उसके लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

एमएसपी से नीचे नहीं बिके फसलें
कृषि जिंसों को किसी भी हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसापी) से नीचे भाव पर खरीदने की पाबंदी लगाई जानी चाहिए। इसकी अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया जाए। किसान क्रेडिट कार्ड पर अगले पांच सालों के लिए न्यूनतम चार फीसद की ब्याज दर पर किसानों को कर्ज मुहैया कराया जाए, साथ ही कृषि उपकरणों को जीएसटी से मुक्त कर दिया जाए। भंडारण सुविधा के लिए कृषक समितियों को दायित्व सौंपने चाहिए। चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि धनवान लोगों द्वारा किसानों की जमीन छीने लेने की घटनाएं होती रहती हैं और इस वजह से संघर्ष भी होते हैं। इस संबंध में भी विचार करने की जरूरत है।

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