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China's exports affected due to Corona, India will take advantage of this opportunity

कोरोना के कारण चीन का निर्यात हुआ प्रभावित, भारत उठाएगा इस अवसर का फायदा

नई दिल्ली। कोरोना वायरस पर चीन की अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, अगर ऐसे ही हालात रहे तो चीन से कृषि उत्पादों के निर्यात में पिछड़ जाएगा। उम्मीद है कि आने वाले समय में भारतीय कृषि उत्पादों की मांग बढ़ सकती है। हालाँकि इस हालात का फायदा उठाने की कोशिशों में लगा है और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय इस क्षेत्र में संभावनाएं खोज रहा है। भारत ने 21 वस्तुओं को चिन्हित किया है, जिनमें आलू, प्याज, मूंगफली, शहद और सोयाबीन प्रमुख हैं

भारत कृषि उत्पादों के निर्यात में काफी पीछे

वैश्विक बाजार में भारत कृषि उत्पादों के निर्यात में काफी पीछे है और चीन इस क्षेत्र में आगे है। वर्ष 2018 में भारत का कृषि उत्पादों का निर्यात 444.59 करोड़ डॉलर था, सरकार ने इसे बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय कृषि निर्यातकों के लिए यह अच्छा मौका है, जब चीन के उत्पादों से बाजार रिक्त होने वाला है और दुनिया के कई देशों में चीन के कृषि उत्पादों प्रतिबंधित किया जा सकता है और टैरिफ लाइन के सहारे रोक लगाई जा सकती है।

चीन के कृषि उत्पाद के निर्यात में 17 फीसद की कमी

कृषि मंत्रालय ने जानकारी दी है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते जनवरी व फरवरी में चीन के कृषि उत्पाद के निर्यात में 17 फीसद तक की कमी आ गई थी। भारत ने चिन्हित किया है कि प्राकृतिक शहद, प्याज, मिर्च, आलू, अमरूद, आम, अंगूर, काजू, सेब, लीची, चाय, मसाले, मूंगफली, सोयाबीन, धान, तिल, सब्जियों के बीज, कुछ सुगंधित पौधे व जड़ी बूटियों के निर्यात में भारत चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है।

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कृषि उत्पादों का आयात रुकने से भारत को नहीं असर

अभी चीन वियतनाम, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, फिलीपींस, मलेशिया, रूस और कोरिया को इन जिंसो की आपूर्ति करता है हैं। कृषि मंत्रालय का कहना है कि चीन से भारत में कृषि उत्पादों का आयात रुकने से भारत को कोई असर नहीं पड़ेगा। वर्ष 2018-19 में भारत ने चीन से 10.9 करोड़ डॉलर (करीब 763 करोड़ रुपये) मूल्य के कुल सात कृषि उत्पादों का आयात किया था, जिसमें राजमा, कैस्सिया, ताजा अंगूर और पौधे की हिस्सेदारी 84 फीसद है, लेकिन अब राष्ट्रीय बांस मिशन और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसे कार्यक्रमों के कारन भारत अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है।

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