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Hindustan Zinc became the first Indian company to get ICMM membership, giving India global recognition in responsible mining

हिंदुस्तान जिंक बनी ICMM की सदस्यता पाने वाली पहली भारतीय कंपनी, जिम्मेदार खनन में भारत को दिलाई वैश्विक पहचान

उदयपुर. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (BSE: 500188, NSE: HINDZINC), जो भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी है, ने इतिहास रचते हुए अंतरराष्ट्रीय खनन एवं धातु परिषद (International Council on Mining and Metals – ICMM) की सदस्यता प्राप्त करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने का गौरव हासिल किया है। यह उपलब्धि भारत को जिम्मेदार खनन के क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करती है।

 

ICMM में 25 विश्वस्तरीय खनन और धातु कंपनियां शामिल हैं, जो सतत विकास, पारदर्शिता और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हिंदुस्तान जिंक की सदस्यता एक कठोर स्वतंत्र मूल्यांकन और ICMM काउंसिल की स्वीकृति के बाद दी गई है।

 

कंपनी की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बार ने कहा, “यह केवल हमारी कंपनी ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। हम जिम्मेदार संसाधन विकास और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में नेतृत्व करेंगे।”

 

सीईओ एवं पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा ने इसे कंपनी की “Sustainability 2.0” यात्रा का नया अध्याय बताया और कहा कि कंपनी अपने सभी कार्यों में ICMM के सिद्धांतों को अपनाकर पारदर्शिता, नवाचार और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ आगे बढ़ेगी।

ICMM के अध्यक्ष एवं सीईओ रोहितेश धवन ने कहा, “हिंदुस्तान जिंक की सदस्यता हमारे सामूहिक प्रयासों को मजबूत करेगी और भारत में जिम्मेदार खनन नेतृत्व को और प्रबल बनाएगी।”

 

हिंदुस्तान जिंक को टेलिंग्स मैनेजमेंट, डिकार्बोनाइजेशन, सर्कुलर इकोनॉमी और विविधता-समावेशन जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व के लिए पहचाना गया है। कंपनी को लगातार दूसरे वर्ष S&P ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट में विश्व की सबसे सतत धातु और खनन कंपनी का दर्जा मिला है।

कंपनी का लक्ष्य 2050 तक नेट जीरो हासिल करना है और FY25 में 2020 के मुकाबले 15% ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाई गई है। हाल ही में कंपनी ने एशिया का पहला लो-कार्बन जिंक “इकोजेन” भी पेश किया।

यह सदस्यता न केवल कंपनी बल्कि भारत के लिए जिम्मेदार और सतत खनन के भविष्य को आकार देने में एक अहम भूमिका निभाएगी।

 

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