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स्टार्टअप के लिए आयकर नियमों में ढील

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने स्टार्टअप कंपनियों को राहत देते हुए उनके आकलन और जांच नियमों में छूट देने का फैसला किया है। विभाग ने एक परिपत्र में अपने अधिकारियों को उन स्टार्टअप कपंनियों से अतिरिक्त कर मांग नहीं करने का निर्देश दिया है जिन्हें उद्योग संवद्र्घन एवं आतंरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) से मान्यता प्राप्त है। यह छूट उन मामलों में लागू होगी जहां जांच आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (7बी) तक सीमित है जिसे आम बोलचाल में ऐंजल टैक्स कहा जाता है। गैर सूचीबद्घ कंपनियों द्वारा शेयर जारी करके जुटाई गई पूंजी पर लगने वाला आयकर ऐंजल टैक्स होता है। यह उन मामलों में लगता है जहां शेयर की कीमत उचित बाजार मूल्य से ज्यादा मानी जाती है।

परिपत्र में कहा गया है कि आकलन अधिकारी कर आकलन की कार्यवाही के दौरान ऐसे मामलों का कोई सत्यापन नहीं करेगा और मान्यता प्राप्त स्टार्टअप कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी को फौरी तौर पर मान लिया जाएगा। विभाग का कहना है कि वैसे मामलों में जहां स्टार्टअप कंपनी डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त है लेकिन जांच में व्यापक मुद्दे शामिल होंगे, उनमें आकलन कार्यवाही के दौरान ऐंजल टैक्स का मुद्दा आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। जहां तक अन्य मामलों का संबंध है तो आकलन अधिकारी जांच आगे बढ़ा सकता है या वरिष्ठ अधिकारियों से मंजूरी लेकर सत्यापन कर सकता है।

अगर स्टार्टअप कंपनियां डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त नहीं हैं तो आकलन अधिकारी को ऐंजल टैक्स सहित किसी भी मुद्दे की जांच करने या सत्यापन करने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति लेनी होगी। अशोक माहेश्वरी ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘इस स्पष्टीकरण से उन स्टार्टअप कंपनियों को मदद मिलेगी जिन्हें कर आकलन को लेकर सवालों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही आकलन अधिकारियों के सामने भी स्थिति स्पष्ट होगी कि किस मामले में क्या करना है।’

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