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स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स अहमदाबाद में राजस्थान की 15 वर्षीय लड़की को मिली नई जिंदगी, फेल्सीपेरम मलेरिया से मल्टीपल ऑर्गन डैमेज के बाद एडवांस केर से बची जान

स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स अहमदाबाद में राजस्थान की 15 वर्षीय लड़की को मिली नई जिंदगी, फेल्सीपेरम मलेरिया से मल्टीपल ऑर्गन डैमेज के बाद एडवांस केर से बची जान

अहमदाबाद. स्टर्लिंग हॉस्पिटल गुरुकुल अहमदाबाद के डॉक्टरों ने क्लिनिकल एक्सिलन्स का प्रेरणादायक उदाहरण पेश करते हुए 15 वर्षीय लड़की का जीवन बचाया है, जो गंभीर प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया और मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से जूझ रही थी। किशोरी को राजस्थान से बेहद नाज़ुक हालत में स्टर्लिंग हॉस्पिटल लाया गया था। उसे सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ़ हो रही थी और वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर निर्भर थी। जांच में पता चला कि फाल्सीपेरम मलेरिया ने उसके किडनी को नुकसान पहुँचाया है, फेफड़ों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और कई अंगों में जटिलताएँ उत्पन्न कर दी हैं।

 

डॉ. सोनल दलाल और डॉ. अमरीश पटेल (पल्मोनोलॉजिस्ट एवं क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट) की विशेषज्ञ देखरेख में आईसीयू टीम ने तुरंत एडवान्स ट्रिटमेन्ट शुरू किया, जिसमें डायलिसिस और विशेष क्रिटिकल केयर सपोर्ट शामिल था। मरीज 12 दिनों तक वेंटिलेटर पर रही और चौबीसों घंटे की निगरानी के साथ उसकी स्थिति धीरे-धीरे सुधरती गई।

 

क्रिटिकल केर टीम के सामूहिक प्रयासों के चलते यह बच्ची स्वस्थ हुई और 18 दिनों की गहन मेडिकल ट्रिटमेन्ट के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। स्टर्लिंग हॉस्पिटल के अधिकारियों ने बताया कि यह मामला गंभीर मलेरिया के उपचार में समय पर निदान, सही रेफरल और उन्नत क्रिटिकल केर सुविधाओं की उपलब्धता की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

 

डॉ. अमरीश पटेल ने बताया कि फेफड़ों में जमा कफ निकालने के लिए ब्रोंकोस्कोपी की गई। सामान्य भाषा में कहें तो दूरबीन जैसी तकनीक से फेफड़ों में जमा कफ को हटाया गया। जब स्थिति में सुधार हुआ, तब वेंटिलेटर सपोर्ट हटाकर उसे सामान्य कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। उस समय तक मरीज रिकवरी मोड में आ चुकी थी। उचित इलाज के बाद लगभग 18 दिनों में लड़की को स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई।

 

फेल्सीपेरम मलेरिया कितना खतरनाक है?

फेल्सीपेरम मलेरिया के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. अमरीश पटेल ने कहा कि सामान्यत: 90 प्रतिशत मरीज कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन लगभग 10 प्रतिशत मामलों में स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है और जीवन पर संकट आ जाता है। यह मामला भी अत्यंत गंभीर था। जिस स्थिति में यह 15 वर्षीय लड़की भर्ती हुई थी, उसे दोबारा स्वस्थ करने में मेडिकल स्टाफ का महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स में मल्टीस्पेशियलिटी यूनिट्स होने के कारण हर आवश्यक उपचार तुरंत उपलब्ध हो गया। इस वजह से, गंभीर स्थिति होने के बावजूद, मात्र 18 दिनों में वह पहले की तरह स्वस्थ हो गई।

 

नेफ्रोलॉजी टीम का नेतृत्व स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स, अहमदाबाद की डॉ. सोनल दलाल ने किया। लड़की की रिकवरी पर बोलते हुए डॉ. दलाल ने कहा कि यहां हम कई ऐसे मरीजों को बचा चुके हैं जिनकी जान पर संकट होता है। इसका श्रेय स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स के पूरे मेडिकल स्टाफ को जाता है। मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल होने की वजह से इमरजेंसी में किसी भी विशेषज्ञता की जरूरत पड़ने पर तुरंत डॉक्टर उपलब्ध हो जाते हैं। यह मामला भी उतना ही गंभीर था, लेकिन स्टर्लिंग हॉस्पिटल्स की क्लिनिकल एक्सीलेंस, 24×7 सपोर्ट, एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर और उत्कृष्ट टीमवर्क की वजह से उसकी जान बच सकी।

 

उल्लेखनीय है कि डॉ. सोनल दलाल और डॉ. अमरीश पटेल के साथ डॉ. रुतुल, डॉ. ईशानी ने डायलिसिस और उपचार में बड़ा सहयोग दिया। साथ ही ICU रजिस्ट्रार डॉ. सैफ, डॉ. ऋषभ, डॉ. अर्पिता, डॉ. निशांत, फिजियोथेरापी टीम, नर्सिंग टीम, डॉ. मिलन और पूरे मेडिकल स्टाफ ने मरीज की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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