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अरबाना ज्वैल्स के बिल्डर नारायणा ग्रुप के खिलाफ मामला दर्ज

सैकड़ो लोगों के साथ बड़ी ठगी का आरोप

मंजू सुराणा, जयपुर| मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट सेक्टर में आए दिन बिल्डर और ग्राहक के बीच तनातनी की खबरें आ रही है। इसी क्रम में मुहाना रोड जयपुर के प्रोजेक्ट अरबाना ज्वैल्स के बिल्डर नारायण ग्रुप के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। कोलकाता निवासी संजोय बोस ने मुहाना थाना में नारायण बिल्डर्स एंड डवलपर्स के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए बताया कि बिना किसी अधिवास प्रमाण-पत्र ओर रेरा रजिस्ट्रेशन के फ्लैटों की बुकिंग कर उन्हें विक्रय कर धोखाधड़ी की गई है।
बोस ने बताया कि उन्होंने एग्रीमेंट में तय अमाउंट के अनुसार पूरा पैसा जमा करा दिया है, इसके बावजूद अब बिल्डर पजेशन देने की बजाय दुगने पैसे की मांग कर रहा है। बोस ने बताया कि उन्होंने बिल्डर से जेडीए, पर्यावरण और रेरा से संबंधित दस्तावेजों की मांग की, तो बिल्डर ने कपटपूर्ण तरीके से दोगुने पैसों की डिमांड कर डाली। परियोजना में तय फ्लैटों से अधिक का निर्माण कर लिया, जिसकी शिकायतें जेडीए और रेरा में भी की गई।
ग्राहकों को धमकी
बिल्डर्स ग्रुप द्वारा ग्राहकों को फ्लेट के केंसिल करने की धमकियां देकर उन्हें गुमराह करके जबरदस्ती फ्लैट्स की पजेशन दी जा रही है। उक्त बिल्डर्स नेबगैर कंप्लीसेशन सर्टीफिकेट पेश किए जबरदस्ती पजेशन दिया जा रहा है, जबकि बिल्डर्स रैरा में भी रजिस्टर्ड नहीं है।
स्वीकति 1188 फ्लैट्स की, बना दिए 1256
नारायण बिल्डर्स एंड डवलपर्स ने 2007 में रिहायशी परियोजना 1188 फ्लैटों के निर्माण के लिए पर्यावरण विभाग से स्वीकृति प्राप्त की (सीटीई) लेकिन बिल्डर ने 1256 फ्लैटों का निर्माण कर लिया और कुल निर्मित क्षेत्र 2.23 लाख वर्ग मीटर की संचालन अनुमति के लिए प्रदूषण विभाग को आवेदन प्रस्तुत किया,  चूंकि बिल्डर द्वारा 1256 फ्लैट्स के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त नहीं की गई थी, अत: संचालन हेतु इनका आवेदन रद्द कर दिया गया, जिसके लिए पर्यावरण विभाग द्वारा दिनांक 1 दिसंबर 2015 को पत्र जारी किया गया।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
जेडीए के नियमानुसार बिल्डर द्वारा निर्मित फ्लैट्स का खरीददारों को पजेशन देने पूर्व अधिवास  माण पत्र और पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है, क्योंकि पूर्णता पत्र प्राप्त करने के लिए प्रदूषण विभाग से प्राप्त संचालन हेतु अनुमति पत्र जेडीए में प्रस्तुत किया जाना जरूरी है। अत: इन लोगों ने 31 मार्च 2017 की तिथि में फर्जी अनुमति पत्र (प्रदूषण विभाग द्वारा जारी) बनवा लिया और 4 अप्रेल 2017 को डिप्टी कमिश्नर जोन-11 जेडीए जयपुर को प्रस्तुत कर दिया। फिर 17 अप्रेल 2017 को इन्होंने सीनियर टाउन प्लानर ( जेडीए) जयपुर को एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसके साथ अधिवास प्रमाण पत्र जारी करने हेतु प्रदूषण का फर्जी प्रमाण-पत्र पेश किया।

प्रदूषण विभाग ने भेजा नोटिस

23 अगस्त 2017 को राजस्थान राज्य प्रदूषण विभाग द्वारा नारायण बिल्डर्स एंव डवलपर्स को एक नोटिस भेजा गया जिसमें बिल्डर द्वारा बगैर संचालन अनुमति प्रदान किए प्रोजेक्ट शुरू करने पर स्पष्टीकरण मांगा गया, उक्त नोटिस से बिल्डर को ये स्पष्ट हो गया कि उनके द्वारा प्रस्तुत प्रदूषण प्रमाण पत्र फर्जी है उसके बावजूद भी 4 सितम्बर 2017 को इन्होंने आयुक्त जेडीए जयपुर को एक पत्र प्रस्तुत किया, जिसके साथ उक्त फर्जी प्रमाण पत्र पुन: प्रस्तुत कर अधिवास प्रमाण पत्र के लिए निवेदन किया गया है।

बिल्डर के खिलाफ चार्जशीट
एफआईआर में पीडि़त ने कहा है कि बिल्डर्स के खिलाफ अनेकों मामले कोर्ट में लम्बित है तथा एक कोर्ट में चार्जशीट भी प्रस्तुत हो चुकी है, इस बिल्डर्स ग्रुप द्वारा ग्राहकों को फ्लैट के कैंसिल करने की धमकियां देकर उन्हें गुमराह करके अवैध रूप से जबरदस्ती फ्लैट्स का पजेशन दिया जा रहा है। बिल्डर्स ने बगैर कंप्लीसेशन सर्टिफिकेट पेश किए पजेशन दे रहा है, जबकि यह रेरा में भी रजिस्टर्ड नहीं है।

ईडीसी के नाम पर वसूले 20 करोड़
एफआईआर में गवाही देने वाले फ्लैट पीडि़तों ने बताया कि बिल्डर्स ने लीज मनी (जेडीए) के नाम पर करोड़ों की वसूली करते हुए ईडीसी के नाम पर फ्लैट धारकों से करीब 20 करोड़ से अधिक वसूल करके जेडीए में मात्र 50 लाख रुपए जमा करवाए एवं आइएफएमएस के नाम पर 10 करोड़ रुपए से भी अधिक वसूली करके निजी उपयोग में ले लिया और तो और जेडीए सम्पति कार पार्र्किग का अवैध बेचान करके करीब 20 करोड़ रुपए से भी ज्यादा अवैध वसूली की है। बिल्डर ने पार्किंग के स्थान पर पार्क विकसित करके अवैध रूप से करोड़ों रुपए का हेरफेर किया है।

बिसलपुर के पानी का वादा
बिसलपुर पानी देने के नाम से फ्लैट धारकों से करोड़ों रुपए वसूल कर पीएचडी विभाग के लगभग 3 करोड़ के डिमांड नोटिस को आज तक जमा नहीं करवाया ओर यंहा टेंकरो से पानी सप्लाई हो रहा है। मुहाना मंडी थाना के जांच अधिकारी ने बताया कि कई गवाह से बयान के बाद प्रदूषण विभाग को पत्र लिखकर मामले की जांच प्रारम्भ कर दी है।

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