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भारत के खाद्य तेल आयात में रिकॉर्ड तेजी के आसार

edनई दिल्ली। देश का खाद्य तेल आयात 2019-20 के दौरान 7.3 प्रतिशत उछलकर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है क्योंकि मॉनसून की कमजोर बारिश से गर्मी में बोई जाने वाली सोयाबीन और मूंगफली जैसी तिलहन की पैदावार कम होने के आसार हैं। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। दुनिया के इस सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक द्वारा अधिक खरीद से पाम तेल की कीमतों को समर्थन मिल सकता है जो उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि के बीच सुस्त मांग के कारण दबाव में हैं।

कारोबारी कंपनी जीजी पटेल ऐंड निखिल रिसर्च कंपनी केप्रबंध निदेशक गोविंदभाई पटेल ने कहा कि तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में बारिश कम रही। इससे मूंगफली, सोयाबीन और कपास की पैदावार कम होगी। पिछले चार दशकों से खाद्य तेल का कारोबार कर रहे पटेल ने कहा कि तिलहन उत्पादन में इस कमी केे कारण भारत पर 1 नवंबर से शुरू होने वाले नए विपणन वर्ष में 1.61 टन तक खाद्य तेल आयात का दबाव रहेगा जो इस वर्ष के अनुमानित 1.5 करोड़ टन से ज्यादा है। भारत अपनी खाद्य तेल जरूरत के दो-तिहाई से भी अधिक का आयात करता है, जो दो दशक पहले के एक-तिहाई आयात से ज्यादा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि स्थानीय उत्पादन देश में बढ़ती मांग को पूरा करने में असफल रहा है। कुल आयात में पाम ऑयल का योगदान दो-तिहाई रहता है।

भारतीय मौसम विभाग द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार 1 जून को शुरू हुए सीजन के बाद से देश में मॉनसूनी बारिश अब तक औसत से 18 प्रतिशत कम रही है। हालांकि महाराष्ट्र के विदर्भ जैसे तिलहन उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में बारिश औसत से 37 प्रतिशत कम रही है। पटेल ने कहा कि मूंगफली और कपास के सबसे बड़े उत्पादक राज्य गुजरात में मौजूदा मॉनसून के दौरान अब तक बारिश 46 प्रतिशत कम रही है जिससे फसल वृद्धि को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि अगर अगले कुछ दिनों में बारिश होती है तो नुकसान को रोका जा सकता है। पिछले कुछ हफ्तों में सूखे की अवधि के कारण सोयाबीन की पैदावार में 20 प्रतिशत तक और मूंगफली की पैदावार में 30 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है। पटेल ने कहा कि चूंकि गर्मी के तिलहन उत्पादन में गिरावट और ज्यादा पुख्ता हो चुकी है इसलिए भारतीय रिफाइनर आने वाले महीनों में खाद्य तेल आयात शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में खाद्य तेल का मासिक आयात बढ़कर 13 लाख टन हो सकता है जो जून तिमाही के औसत 11.5 लाख टन से अधिक है।

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