New Delhi. Punjab & Haryana High Court (P&H HC) ने उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें एक जज (Judicial Magistrate) ने अपने दूर के रिश्तेदार (distant relative) को नियमित जमानत (regular bail) दे दी थी। कोर्ट ने इसे इसलिए रद्द किया क्योंकि जज को उस आरोपी के प्रति संबंध जानकर भी मामला सुना था, जिससे पक्षपात (bias) का संदेह पैदा होता है। 
कोर्ट का क्या कहना है?
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर जज का आरोपी के साथ रिश्ता ज्ञात है, तो उस मामले को सुनना न्यायिक निष्पक्षता (judicial impartiality) के सिद्धांत के खिलाफ होता है। इससे न्याय प्रक्रिया की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। 
कोर्ट ने बैल (बैल जमानत) आदेश को रद्द कर दिया, लेकिन आरोपी को तुरंत हिरासत में नहीं लिया गया, क्योंकि जमानत पिछले काफी समय से लागू थी — इसलिए अचानक रद्द करना न्याय के सिद्धांत के खिलाफ माना गया। 
अदालत ने कहा कि आरोपी 23 दिसंबर तक Ambala CJM / ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश हो और वहाँ उसका बैल आवेदन फिर से सुना जाए। 
हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की, क्योंकि यह मामला प्रशासनिक प्रक्रिया में विचाराधीन है।
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