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वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर पुरोहित का निधन

मंजू सुराणा । राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर पुरोहित का मंगलवार शाम शास्त्रीनगर स्थित निवास पर निधन हो गया। वे 99 वर्ष के थे। पुरोहित पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। पुरोहित के निधन पर बुधवार सुबह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विशेष विमान से जोधपुर पहुंचे और पुरोहित की शवयात्रा में शरीक हुए। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश दलपत सिंह भंडारी ने भी पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की। पुरोहित की शव यात्रा में कांग्रेस व बीजेपी सहित कई जनप्रतिनिधि व अधिकारी पहुंचे। पुरोहित की अंतिम यात्रा प्रात: 10 बजे उनके निवास स्थान मथुरादास माथुर अस्पताल के सामने, शास्त्री नगर से चांदपोल स्थित स्वर्गाश्रम पहुंची।

जाने कौन थे मुरलीध्र पुरोहित : नेता, अभिनेता व खिलाड़ी थे पुरोहित

उन्होंने करीब 70 साल तक वकालत की। उनकी पहचान अधिवक्ता के साथ ही नेता,अभिनेता और खिलाड़ी के रूप में भी थी। पुरोहित के पुत्र आनंद पुरोहित तथा पौत्र कपिल पुरोहित भी हाईकोर्ट में वकालत करते हैं। वे राजनीति में भी सक्रिय रहे। आज कोर्ट का चैम्बर और कला का स्टेज सूना है तो खेल के मैदान में भी वीरानी छाई हुई है। हर वह शख्स हैरान, स्तब्ध और शोकाकुल है, जो मुरलीधर पुरोहित को जानता है। मैं उनसे पहली बार जनहित याचिका लगाने संबंधी केस के संबंध में मिली थी। उन्होंने केस को देखते हुए कहा था ये आयरन लेडी है। उनके लिए वकालत में फीस मायने नहीं रखती थी बल्कि केस में जनहित हो रहा हो तो वे हमेंशा आगे रहते थे। यही वजह है कि आज समाज का हर वर्ग को उनकी कमी महसूस हो रही है। लोग उन्हें बाउजी के नाम से पहचानते थे। बाउजी आज हमारे बीच नहीं है पर उनके कार्य हमेंशा याद रहेंगे। समाज के हर तबके के लिए उन्होंने बेहतरीन कार्य किया इसी वजह से आज उनकी अंतिम यात्रा में कोई पार्टी विशेष नहीं बल्कि हर वर्ग का आदमी मौजूद था। मुख्यमंत्री से लेकर आम आदमी तक आज उन्हें याद कर रहा है। उनका निधन एक साथ कई विद्याओं में अपूरणरीय क्षति है। आज की पीढ़ी पुरोहित को वकील के रूप में ही जानती है। जबकि वो ऐसी शख्सियत थे, जो एक ही समय में कई कलाओं में एक साथ सक्रिय रहे|

न हस्तियों के साथ की थी पढ़ाई

उन्होंने सन 1946 में नागपुर लॉ कॉलेज से लॉ पढ़ाई की थी। बरकतउल्लाह खां और नाथूराम मिर्धा उनके सहपाठी थे तो विद्याचरण शुक्ल और पी वी नरसिंहाराव जैसे राजनेताओं के साथ वकालत की पढ़ाई की थी। इसके बाद सन 1948 में वे मुंबई चले गए थे। वहां तीन साल तक पृथ्वीराज कपूर के थिएटर में काम किया। स्वास्थ्य ने साथ नहीं दिया तो जोधपुर लौट आए और यहां हाईकोर्ट में वकालत की। उन्होंने सन 1950 में हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में अधिवक्ता मोहनलाल जोशी के सान्निध्य में वकालत शुरू की थी।

संगीत-नृत्य में थी रुचि

उनकी बांसुरी और हारमोनियम के साथ-साथ गायन और नृत्य में भी रुचि थी। उन्होंने अपनी संस्था संगीत कला विहार की मेजबानी में जोधपुर में अली अकबर खां, निखिल बनर्जी, पंडित रविशंकर, गिरिजादेवी, जगजीतसिंह और गुलाम अली जैसे कलाकारों के यादगार कार्यक्रम करवाए थे। वकील के साथ-साथ अभिनेता, स्टेट फुटबॉल और वॉलीबॉल चैम्पियन और स्क्वैश खिलाड़ी के अलावा पहलवान भी रहे। पुरोहित ने सन 1957-58 में डूरंड कप स्टेट फुटबॉल चैम्पियनशिप का प्रतिनिधित्व किया था। वे बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के उपाध्यक्ष भी रहे। रोटरी क्लब, वॉलीबॉल एसोसिएशन और पुष्टिकर एजुकेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे तो राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के सदस्य, यूनिवर्सिटी में सीनेट और सिंडिकेट सदस्य, पृथ्वीराज कपूर के साथ एक्टिंग में भाग्य आजमाया था।

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ठुकराया था जज बनने का ऑफर

वर्तमान दौर में लगभग हर सफल वकील जज बनने की इच्छा रखता है। ऐसे वकील विरले ही होते हैं, जो जज बनने का ऑफर ही ठुकरा दें। ऐसे ही अपने धुन के पक्के व्यक्तित्व में से एक हैं राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठतम अधिवक्ता मुरलीधर पुरोहित। उन्हें वर्ष 1972 में जस्टिस वी.पी. त्यागी ने माउंट आबू बुलाकर कहा कि जज की जिम्मेदारी स्वीकार कर लो, लेकिन उन्होंने अपने सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया। करीब 66 वर्ष के वकालत का अनुभव लिए 96 वर्षीय अधिवक्ता पुरोहित आज भी पेशे से दूर नहीं हुए थे। स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से अब वह कोर्ट में बहस नहीं कर पाते, लेकिन अपने ऑफिस में आज भी भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करते थे।

जज रिटायर हो जाता है, वकील नहीं

जस्टिस त्यागी ने जब मुरलीधर पुरोहित को जज के पद का ऑफर दिया, तो इन्होंने इनकार कर दिया। कहा, जज के वेतन से मेरा खर्च नहीं चलेगा। कई सामाजिक दायित्व निभाने हैं और पांच बेटियों की शादी करनी है, जो जज के वेतन से संभव नहीं है। उन्होंने कहा, जज तो रिटायर हो जाता है, वकील रिटायर नहीं होता। इस फैसले की महकमा खास में हेड क्लर्क रहे उनके पिता जमनादास पुरोहित ने भी सराहना की।
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