नई दिल्ली| आम उपभोगताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मुश्किल टेक्नोलॉजी को सरल बनाने में भारतीय इंजीनियर्स और उत्पाद निर्माताओं ने एक एहम भूमिका निभाई है। उनके पास इसका एक समृद्ध इतिहास है। इसे हम उत्पाद के निर्माण का भारतीय स्कूल कह सकते हैं। अनेक उद्योगों में इस विषय की झलक दिखाई देती है : इसरो के इंजीनियर्स ने बेहतरीन कॉस्ट – एफिशिएंसी के साथ आम आदमी के लिए बेहद उपयोगी अंतरिक्ष उद्योग का निर्माण किया है; आइडेंटिटी वेरिफिकेशन की प्रतिक्रिया को आसान बनाने हेतु, आधार के निर्माताओं ने बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन जैसी जटिल परन्तु बेहतरीन तकनीकों का लाभ उठाया। पेमेंट्स के भुगतान में, चाहे वह पीयर-टू-पीयर हो या पीयर-टू-मर्चेंट, यूपीआई द्वारा सारी प्रतिक्रिया आसान और निर्बाध बन गई है।
अगले दशक में इसके प्रत्याशित विकास पर कॉइनस्विच के सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं, “मैं भारतीय इंजीनियरों और उत्पाद निर्माताओं को वेब3 का इस्तेमाल करते हुए उपभोगताओं की समस्याओं का सरल तरीके से हल निकालते हुए देखता हूं। वास्तविक दुनिया में इसका उपयोग जैसे जैसे बढ़ता रहेगा, वैसे-वैसे, इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले डेवलपर्स द्वारा हल की गई कई समस्याओं के समाधान भी बढ़ते रहेंगे। इस क्षेत्र में, आज हम जो कर रहे हैं वह भविष्य के नए इंटरनेट की नींव रखेगा। उम्मीद है कि कल का अमेज़न और गूगल भारत में बनेगा।”
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