मुंबई. हर महीने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर अधिकारियों पर खासा दबाव है और दूसरी ओर उद्योग जीएसटी वसूली के नोटिस की बाढ़ आने से परेशान हैं। सभी क्षेत्रों में पिछले एक महीने के दौरान कंपनियों को नोटिस और समन जारी किए जा रहे हैं। उद्योग निकाय और कंपनियों ने क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा शोषण किए जाने, समूचा इनपुट टैक्स क्रेडिट रोकने, गिरफ्तार करने और भारी जुर्माना लगाने की धमकियों की शिकायत की है। उनका कहना है कि इससे कार्यशील पूंजी और परिचालन प्रभावित हो रहा है।
उद्योग ने लगातार मिल रहे समन और नोटिस की शिकायत राजस्व विभाग और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड से की है। उनका कहना है कि इससे करदाताओं में बेवजह डर का माहौल बन रहा है। उनका तर्क है कि करदाताओं को उनके बयान दर्ज करने के लिए बुलाने की प्रक्रिया काफी लंबी और दुरुह है, जो इसके मकसद को झुठला रही है। कई मामलों में अधिकारियों द्वारा करदाताओं का शोषण किए जाने की शिकायत मिली है। पूछताछ के नाम पर उन्हें पूरी रात या देर रात तक रोका जाता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों को जारी किए गए समन और नोटिस देखे हैं। ये इनपुट टैक्स क्रेडिट में बेमेल और जीएसटी पंजीकरण रद्द किए जाने के बाबत जारी किए गए हैं।एक समन में लिखा गया है, ‘आपको केंद्रीय जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 70 के अंतर्गत व्यक्तिगत तौर पर तारीख को तलब किया जाता है। इसमें आपको निर्धारित जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज और रिकॉर्ड का साक्ष्य देना होगा। ऐसा नहीं करने पर कानून के मुताबिक आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’कंपनियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि केवल नोटिस की बात नहीं है बल्कि अधिकारी तेजी से कार्रवाई भी कर रहे हैं। कुछ मामलों में कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी और मुख्य वित्त अधिकारी तक को तत्काल जीएसटी कार्यालय में उपस्थित होने का समन भेजा गया है। उद्योग से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि अधिकारी करदाताओं के साथ संवाद के लिए आधिकारिक ईमेल आईडी की जगह व्यक्तिगत ईमेल आईडी का उपयोग कर रहे हैं। उद्योग ने अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए जाने की धमकी की भी शिकायत की है।
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