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दरें फिर घटीं, कर्ज होगा सस्ता

मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने परंपरा से हटते हुए आज नीतिगत रीपो दर में 35 आधार अंकों की कटौती कर दी। यह पहला मौका है जब केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दर में इतनी कटौती की है। साथ ही उसने इस बात पर जोर दिया कि बैंकों को इसका फायदा अपने ग्राहकों को देना ही होगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्घि दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना चाहिए। केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती के बाद सरकार अब बैंकिंग उद्योग से जुड़ी अन्य समस्याओं के समाधान की दिशा में काम कर रही है। दास ने कहा कि अब बैंकों को भी कर्ज और सस्ता करना चाहिए। हालांकि उन्होंने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि यह निजी कंपनियों को नई परियोजनाओं के लिए कर्ज लेने के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त होगा या नहीं।अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर दास ने कहा कि मंदी और तेजी के दौर लौटकर आते रहते हैं। हालांकि केंद्रीय बैंक को भी मंदी की आशंका सता रही है। आरबीआई के सर्वेक्षण के मुताबिक उपभोक्ता अर्थव्यवस्था और अपनी आय तथा रोजगार के भविष्य को लेकर आशंकित हैं।

उधर, बाजार नीतिगत दरों में इस तरह की कटौती के लिए तैयार था क्योंकि दास कम से कम दो बार सार्वजनिक तौर पर यह संभावना जता चुके थे। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत दर में कटौती के पक्ष में वोट दिया। समिति के नए सदस्य और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने भी इसका समर्थन किया। चार सदस्यों ने 35 आधार अंक की कटौती के पक्ष में वोट दिया जबकि दो बाहरी सदस्य चेतन घाटे और पमी दुआ ने 25 आधार अंक की कटौती के पक्ष में थे। यह लगातार चौथा मौका है जब रीपो दर में कटौती की गई है। इस कटौती के बाद रीपो दर अब 5.40 फीसदी रह गई।

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