चंदा कोचर दोषी करार, पति दीपक कोचर के ज़रिए ₹64 करोड़ की रिश्वत ली गई
New delhi. 2012 में ICICI बैंक द्वारा वीडियोकॉन ग्रुप को ₹300 करोड़ का लोन मंजूर किया गया था, जिसकी मंजूरी समिति में खुद बैंक की CEO रहीं चंदा कोचर शामिल थीं।
ED (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में सामने आया है कि इस लोन की मंजूरी के ठीक एक दिन बाद वीडियोकॉन ने ₹64 करोड़ की राशि NuPower Renewables Pvt. Ltd. नामक कंपनी को ट्रांसफर की।
हालांकि, कागजों पर यह कंपनी वीडियोकॉन के CMD वेणुगोपाल धूत की मानी गई, पर असल में इसके मालिक व नियंत्रणकर्ता दीपक कोचर निकले — जो कि चंदा कोचर के पति हैं।
ट्रिब्यूनल के फैसले की मुख्य बातें:
• यह लेनदेन “quid pro quo” (लेन-देन के बदले में लाभ) का साफ़ उदाहरण बताया गया।
• चंदा कोचर ने बैंक को अपनी व्यक्तिगत भागीदारी की जानकारी नहीं दी, जो कि नैतिक हितों का टकराव (Conflict of Interest) है।
• 2020 में निचली अदालत द्वारा कोचर परिवार की ₹78 करोड़ की संपत्ति को मुक्त करने का फैसला अब निरस्त कर दिया गया है।
• ट्रिब्यूनल ने ED की संपत्ति जब्ती को सही और प्रमाणित करार दिया है।
निष्कर्ष:
• चंदा कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग किया।
• उन्होंने वीडियोकॉन को लोन देने के बदले में व्यक्तिगत लाभ लिया।
• पति की कंपनी को भेजी गई ₹64 करोड़ की रकम ही सबसे बड़ा सबूत बनी।
• ED द्वारा कोचर परिवार की संपत्ति जब्त करना पूरी तरह से वैध और कानूनी है।