New delhi. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए नासरीन ताज नामक महिला को गिरफ्तार कर लिया है, जो पिछले लगभग 7 सालों से फरार चल रही थी। नासरीन ताज पर Syndicate Bank (जो अब Canara Bank में मर्ज हो चुका है) से जुड़ी 12.63 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी में मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है।
CBI द्वारा दर्ज मामले के अनुसार, यह धोखाधड़ी साल 2009 में सामने आई थी, जब Syndicate Bank की मंड्या शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक असदुल्ला खान सहित 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इन सभी पर साजिश रचकर बैंक को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है।
नासरीन ताज, जिसकी कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं था, ने अपने पति और अन्य आरोपियों की मदद से फर्जी तरीके से ₹1.2 करोड़ का टेम्पररी ओवरड्राफ्ट लोन और ₹55 लाख का कृषि लोन हासिल किया। कृषि लोन का इस्तेमाल खेती के बजाय पुराने लोन की भरपाई में किया गया, जो नियमों के खिलाफ था।
CBI ने 2010 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी और नासरीन ताज को मुख्य आरोपी बताया गया था। लेकिन 2019 में वह अदालत में पेश होना बंद कर चुकी थी और फरार हो गई। उसके खिलाफ कई गिरफ्तारी वारंट जारी हुए, लेकिन वह पकड़ से बाहर रही। 2021 में अदालत ने उसकी संपत्ति जब्त करने के आदेश भी दिए थे।
फरारी के दौरान उसने अपने परिवार और परिचितों से संपर्क तोड़ लिया था, कई बार ठिकाने बदले और अपनी पहचान छिपाने के लिए “सलमा” नाम भी रख लिया था। उसने अपने पड़ोसियों और नियोक्ता को भी धोखे में रखा।
CBI की टीम ने तकनीकी साधनों, डिजिटल पहचान डेटा और फील्ड इन्वेस्टिगेशन की मदद से उसे बेंगलुरु में ट्रैक किया। उसकी ऑनलाइन गतिविधियों के आधार पर उसकी पहचान पक्की की गई और 19 जुलाई 2025 को उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
यह मामला साबित करता है कि अगर जांच एजेंसियां लगातार प्रयास करें और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें, तो कितने भी लंबे समय से फरार अपराधियों को भी न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है। CBI की इस मेहनत से एक और आर्थिक अपराधी कानून की गिरफ्त में आ सका है।