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CBI case against a company linked to Tamil Nadu minister K.N. Nehru's family cancelled, High Court said- 'It was not a crime but a business transaction'

तमिलनाडु के मंत्री K.N. नेहरू के परिवार से जुड़ी कंपनी पर CBI का केस रद्द, हाईकोर्ट ने कहा- ‘अपराध नहीं, व्यवसायिक लेन-देन था’

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री K.N. नेहरू के छोटे भाई एन. रविचंद्रन और उनकी कंपनियों पर CBI द्वारा दर्ज 30 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले से जुड़े केस को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने माना कि यह मामला धोखाधड़ी से ज्यादा वाणिज्यिक लेन-देन का है, क्योंकि बैंक और उधारकर्ता आपस में समझौता कर चुके हैं।

कौन-कौन सी कंपनियां थीं शामिल?

एन. रविचंद्रन ने तीन कंपनियों के साथ याचिका दायर की:
 • True Value Homes India Pvt Ltd
 • TVH Energy Resource
 • Truedome EPC India Pvt Ltd

CBI का क्या आरोप था?

CBI के अनुसार, 2013 में Truedome EPC India Pvt Ltd ने Indian Overseas Bank से 30 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जोकि तिरुप्पुर जिले में 100.80 मेगावाट की विंड एनर्जी परियोजना के लिए था। परंतु इस रकम का इस्तेमाल प्रोजेक्ट में न होकर सिस्टर कंपनियों को ट्रांसफर करने में हुआ:
 • Ecodom Power – ₹13.50 करोड़
 • Mark Green Developers – ₹12.50 करोड़
 • Balaji Traders – ₹4 करोड़
आख़िरकार पूरी राशि True Value Homes के अकाउंट में ट्रांसफर हुई और उसी दिन Punjab National Bank का कर्ज चुकाने में इस्तेमाल हो गई।

कोर्ट का फैसला क्यों आया याचिकाकर्ताओं के पक्ष में?

न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने कहा कि चूंकि बैंक को पहले से इस बात की जानकारी थी कि यह राशि किसी अन्य ऋण को चुकाने में लगेगी, यह अपराध की बजाय एक व्यावसायिक निर्णय प्रतीत होता है।
“जब बैंक अधिकारियों को लोन की असली मंशा पहले से पता थी, तो यह धोखाधड़ी नहीं बल्कि सहमति से किया गया वित्तीय लेन-देन था,” कोर्ट ने कहा।

कोर्ट ने लगाया 30 लाख रुपये का जुर्माना

हालांकि केस रद्द हुआ, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर ₹30 लाख का जुर्माना लगाया है। यह राशि 8 हफ्तों में जमा करानी होगी, जिसमें से:
 • एक हिस्सा CBI को मिलेगा – जांच व कानूनी खर्चों के लिए
 • दूसरा हिस्सा न्यायालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार और स्टेशनरी खरीद में लगेगा

क्या CBI और ED की जांच रुकेगी?

CBI ने दिसंबर 2021 में धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-B (साज़िश), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। अब चूंकि मामला निपट गया है, आगे की जांच पर असर पड़ सकता है लेकिन आधिकारिक रूप से जांच रोकने की कोई सूचना नहीं दी गई है।

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