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राजकोषीय घाटा 21.2 फीसदी रहा

नई दिल्ली| चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में केंद्र का राजकोषीय घाटा 3.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य 16.6 लाख करोड़ रुपये का 21.2 फीसदी है। सरकार का पूंजीगत बढ़ने और राजस्व प्राप्तियां घटने से राजकोषीय घाटे पर असर पड़ा है। पिछले वित्त वर्ष की समान अव​धि में केंद्र का राजकोषीय घाटा 2.7 लाख करोड़ रुपये था, जो 15.7 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान का 18.2 फीसदी ही था। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पहली तिमाही में राजस्व प्रा​प्तियां (कर तथा गैर-कर प्रा​प्तियां) 5.68 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो साल के लक्ष्य की 25.8 फीसदी हैं। पिछले साल की समान अव​धि में राजस्व प्रा​प्तियां 5.4 लाख करोड़ रुपये थीं यानी इस साल इनमें महज 5 फीसदी का इजाफा हुआ है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शुद्ध कर राजस्व 5.06 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान का 26.1 फीसदी है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 4.1 लाख करोड़ रुपये से 23 फीसदी अधिक है। हालांकि वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में कुल प्रा​प्तियों में से 2.1 लाख करोड़ रुपये जून में मिले थे।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पहली तिमाही में कर राजस्व में अच्छी वृद्धि हुई है और कम आधार का इसे लाभ मिला है। हम उम्मीद करते हैं कि गैर-उत्पाद सकल कर राजस्व बजट अनुमान से अ​धिक रहेगा।’ हालांकि नायर ने आगाह किया कि मुद्रास्फीति के कारण भारतीय उद्योग जगत के मार्जिन पर दबाव रहने से कॉरपोरेट कर कम रह सकता है। इस साल जून में कॉरपोरेट कर संग्र​ह पिछले साल जून के मुकाबले महज 3 फीसदी बढ़ा है।

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