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फ्लिपकार्ट : आदमी की नहीं दरकार, रोबोट कर रहे सामान तैयार

नई दिल्ली.  वेंकट स्वामी बेंगलूरु स्थित फ्लिपकार्ट के एक केंद्र में काम करते हैं जहां बिक्री के लिए आने वाले सामान की छंटनी होती है। इसके चारों ओर वेयरहाउस, फैक्टरियां, मंदिर, चर्च और धूल भरी सड़कें हैं। कुछ महीने पहले तक वे ग्राहकों द्वारा दिए जाने वाले ऑर्डर की छंटनी करते उन्हें वापस जगह पर रखते और विभिन्न जगहों पर भेजने के हिसाब से तैयार करते थे। यह काफी थका देने वाला और नीरस काम था लेकिन वे रोजाना आठ घंटे की नौकरी में इस काम को करते थे। अब स्वामी रोबोट का प्रबंधन करते हैं जो काम में उनकी मदद करते हैं। अब स्वामी को नारंगी रंग के रोबोट पर सामान रखने होते हैं और ग्राहक के पिनकोड या पार्सल पर लिखी दूसरी जानकारियों के आधार पर मशीन स्वयं इनकी छंटनी कर लेती है। फ्लिपकार्ट फैसिलिटी केंद्र में रोबोट प्रति घंटा 5000 पैकेट की छंटनी करते हैं जबकि मानव के काम में यह संख्या केवल 450 पार्सल प्रति घंटा थी। ये रोबोट या स्वचलित निर्देशित वाहन (एजीवी) चौबीस घंटे काम कर सकते हैं और 8 घंटे काम करने के बाद जब उसकी बैटरी डिस्टचार्ज होने लगती है तो वह विभिन्न चार्जिंग प्वाइंट के जरिये खुद को चार्ज कर लेते हैं। फ्लिपकार्ट में उपाध्यक्ष (रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन) प्रणव सक्सेना कहते हैं ये रोबोट हमारी उम्मीद से 10 गुना अधिक कार्य कर रहे हैं।                                                                                 ये सभी रोबोट एक दूसरे से रियल टाइम में बात करते हैं जिससे कार्य में किसी भी तरह के टकराव को रोका जा सके। फ्लिपकार्ट का कहना है कि उसने भारत की पहली रोबोट आधारित छंटाई प्रौद्योगिकी शुरू की है। इसे आपूर्ति शृंखला के क्षेत्र में स्वचालन प्रक्रिया अपनाने की दिशा में प्रमुख बदलाव के तौर पर देखा जा सकता है। फ्लिपकार्ट के छंटनी केंद्र में 100 से अधिक रोबोट सामान की छंटनी कर रहे हैं। फ्लिपकार्ट में ई-कार्ट टेक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कृष्णा राघवन कहते हैं यह इस क्षेत्र में भारत का पहला नवोन्मेष है। हम स्वचालन के लिए सटीकता, और दक्षता जैसी समस्याओं को सुलझाना चाहते हैं। पिछले वर्ष सितंबर महीने में रोबोटिक्स स्टार्टअप ग्रेऑरेंज ने 14 करोड़ डॉलर की वित्त उगाही की थी। वित्त उगाही के इस दौर में फ्लिपकार्ट के सह-संस्थापक बिन्नी बंसल ने भी निवेश किया। हालांकि फ्लिपकार्ट का कहना है कि वह इस परियोजना के लिए ग्रेओरेंज के साथ मिलकर काम नहीं कर रही है और विभिन्न विक्रेताओं से रोबोट खरीदकर उन्हें अपनी जरूरतों और भारतीय परिवेश के अनुसार कस्टमाइज कर रही है।

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