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आईआईटी मंडी ने एप्लाइड बिहेवियरल साइंस एवं निर्णय निर्माण पर वैश्विक विशेषज्ञों को एबीएसडीएम सम्मेलन 2025 में एक मंच पर लाया

आईआईटी मंडी ने एप्लाइड बिहेवियरल साइंस एवं निर्णय निर्माण पर वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी की

 

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी, देश के अग्रणी आईआईटी संस्थानों में से एक, ने एप्लाइड बिहेवियरल साइंसेज़ एंड डिसीजन मेकिंग कॉन्फ्रेंस (एबीएसडीएम 2025) का सफलतापूर्वक आयोजन किया। दो दिवसीय इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में भारत और विदेशों से आए शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों एवं प्रैक्टिशनर्स ने भाग लिया और व्यवहार विज्ञान, संज्ञानात्मक मॉडलिंग तथा निर्णय निर्माण से जुड़े नवीनतम शोध कार्यों पर विचार-विमर्श किया।

 

 

आईआईटी मंडी के प्रो. वरुण दत्त तथा आईआईटी दिल्ली के प्रो. सुमितावा मुखर्जी द्वारा आयोजित एबीएसडीएम 2025 ने निर्णय प्रक्रियाओं के संज्ञानात्मक, सामाजिक एवं तकनीकी आयामों की पड़ताल के लिए एक सशक्त अंतर्विषयक मंच प्रदान किया। सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, सार्वजनिक नीति तथा उभरती प्रौद्योगिकियों जैसी वास्तविक चुनौतियों के समाधान हेतु व्यवहारिक अंतर्दृष्टियों के अनुप्रयोग के महत्व को रेखांकित किया गया। यह आयोजन टाटा ट्रस्ट्स परियोजना (प्रधान अन्वेषक: प्रो. के. वी. उदय) के सहयोग से संपन्न हुआ, जिनके प्रायोजन ने सम्मेलन के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

 

सम्मेलन का उद्घाटन प्रो. लक्ष्मीधर बेहेरा, निदेशक, आईआईटी मंडी द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो. जोआखिम मेयर, सेलिया एंड मार्कोस माउस प्रोफेसर ऑफ डेटा साइंसेज़, स्कूल ऑफ इंडस्ट्रियल एंड इंटेलिजेंट सिस्टम्स इंजीनियरिंग, तेल अवीव विश्वविद्यालय, मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। इसके साथ ही प्रो. अर्नव भावसार, अध्यक्ष, इंडियन नॉलेज सिस्टम एंड मेंटल हेल्थ एप्लिकेशंस (IKSMHA) केंद्र; प्रो. शुभजीत रॉय चौधरी, अध्यक्ष, सेंटर फॉर ह्यूमन-कंप्यूटर इंटरैक्शन; तथा प्रो. के. वी. उदय, अध्यक्ष, सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड डिजास्टर मैनेजमेंट भी मंच पर मौजूद रहे।

 

 

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रो. लक्ष्मीधर बेहेरा, निदेशक, आईआईटी मंडी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, शिक्षा एवं सतत विकास के भविष्य को आकार देने में व्यवहार विज्ञान और निर्णय निर्माण अनुसंधान की भूमिका पर प्रकाश डाला।

एबीएसडीएम 2025 में प्रो. जोआखिम मेयर का विशिष्ट मुख्य भाषण विशेष आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, रक्षा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मानव और निर्णय-सहायक एल्गोरिदम के बीच अंतर्संबंधों पर अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। उनके अनुभवजन्य निष्कर्षों और मॉडलों ने एल्गोरिदम-सहायित निर्णय निर्माण में विश्वास और प्रभावशीलता बढ़ाने के महत्वपूर्ण संकेत दिए।

 

 

सम्मेलन के दौरान पर्यावरणीय स्थिरता के लिए व्यवहारिक हस्तक्षेप, ड्रिफ्ट डिफ्यूजन मॉडल्स के वास्तविक अनुप्रयोग जैसे अंतर्विषयक और अनुप्रयोग-आधारित विषयों पर गहन चर्चाएँ हुईं। 30 से अधिक

 

शोध पत्रों एवं पोस्टर प्रस्तुतियों के माध्यम से जलवायु संबंधी निर्णय निर्माण, संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह, मानव–एआई अंतःक्रिया तथा संगठनात्मक व्यवहार जैसे क्षेत्रों में किए गए शोध कार्यों को प्रदर्शित किया गया। सक्रिय सहभागिता और बहुविषयक सहयोग के साथ आयोजित गोलमेज चर्चाओं और ओपन हाउस सत्रों में यह विमर्श किया गया कि किस प्रकार व्यवहारिक शोध सार्वजनिक नीति, जलवायु कार्रवाई और प्रौद्योगिकी डिजाइन को दिशा दे सकता है।

सम्मेलन का समापन सामान्य निकाय बैठक के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने एप्लाइड बिहेवियरल साइंस एवं निर्णय निर्माण के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा और जनसंपर्क को सशक्त बनाने तथा आगामी सम्मेलन की योजनाओं के लिए एक सोसाइटी फॉर एप्लाइड बिहेवियरल साइंस एंड डिसीजन मेकिंग के गठन पर चर्चा की। एबीएसडीएम 2025 ने मनोविज्ञान, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र और डेटा साइंस के संगम पर कार्यरत

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