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महामारी ने बदला फैशन का नजरिया, किफायती चीजों पर जोर

Jaipur मानसी की नजरें कई वर्षों से लुई वितां ब्रांड पर थीं लेकिन जेब हल्की होने की वजह से वह खुद को पीछे रोक लेती थीं। अब, अमेरिका के दिग्गज ई-शॉपिंग ब्रांड पॉशमार्क के भारत में प्रवेश के साथ ही उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं कि वे इस ब्रांड की कुछ चीजें ले पाएंगी। इसके दो हफ्ते पहले ही लॉन्च होने के बाद से ही वह इसकी वेबसाइट को नियमित रूप से देखती रहती हैं ताकि उन्हें उनकी मनपसंद चीज मिल जाए। पॉशमार्क एक ऑनलाइन सोशल कॉमर्स मार्केटप्लेस है जहां विभिन्न ब्रांडों की इस्तेमाल की जा चुकी और नई, दोनों तरह के कपड़े और एसेसरीज खरीदी और बेची जा सकती है और भारत के तेजी से बढ़ते फैशन उद्योग में यह नई चीज जुड़ी है। सिकोया और बेन ऐंड कंपनी की एक रिपोर्ट ‘अनलॉकिंग द फ्यूचर ऑफ  कॉमर्स इन इंडिया’ के अनुसार, ‘सोशल कॉमर्स इस वक्त 1.5 अरब डॉलर से 2 अरब डॉलर के जीएमवी (सकल मर्केंडाइज मूल्य) वाला बाजार है जो महज पांच सालों में 16 अरब डॉलर से 20 अरब डॉलर तक हो जाएगी और 2030 तक इसके 60 अरब डॉलर से 70 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। संक्षेप में कहें तो भारत का सामाजिक वाणिज्य क्षेत्र दस वर्षों के भीतर मौजूदा ई-कॉमर्स बाजार के आकार का दोगुना हो जाएगा।’

सोशल कॉमर्स का मतलब सीधे सोशल मीडिया पर उत्पादों की बिक्री करना है। इसमें एक सेगमेंट ऐसा है जहां कोई पहले से पसंद किए गए (प्री-लव्ड) इस्तेमाल किए जा चुके कपड़े खरीद और बेच सकता है। इस तरह के मंच पर ऐसे किफायती ऑफर वाले (थ्रिफ्ट) पेज नजर आते हैं। महामारी के दौरान इंस्टाग्राम जैसी साइटों पर ऐसे पन्नों की संख्या कई गुना बढ़ गई है क्योंकि लोगों की आमदनी तो कम हुई है लेकिन खरीदारी करने की इच्छा कम नहीं हुई है। ऐसे पेज नियमित रूप से उन जगहों पर ‘कीमतों में कमी’ की घोषणा करते हैं जहां कपड़े बिक्री के लिए रखे जाते हैं। अब इसमें दिलचस्प बात यह है कि हर सामान का बस एक ही नमूना होता है ऐसे में मानसी को ज्यादा सतर्कता बरतनी पड़ती है।

प्रीतिका राव ‘ऑलथिंग्सप्रीलव्ड’ नाम का पेज चलाती हैं, जिनके इंस्टाग्राम पर 2,500 से अधिक फॉलोअर हैं। उन्होंने 8 मार्च, 2020 को बीकेसी मुंबई में अपनी पहली ऑफलाइन किफायती सेल लगाई जहां पहले दिन ही उनका स्टॉक बिक गया। बमुश्किल दो हफ्ते बाद ही कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन लगाना पड़ा ऐसे में राव के पास ऑनलाइन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था। उनका मानना है कि कई वजहों से महामारी ने इस तरह के बाजार की मदद की है क्योंकि कई लोग अपने वार्डरोब में तब्दीली करना चाह रहे हैं। वह कहती हैं, ‘महामारी ने लोगों को अपनी निजी जीवन शैली पर फिर से पुनर्विचार करने का मौका दिया है।’ वह कहती हैं, ‘कपड़े खरीदने और बेचने वाले इस तरह के किफायती मंच के तैयार होने की एक वजह यह भी है कि कई लोग शारीरिक परिवर्तनों से गुजरे हैं। उन्हें विभिन्न आकार के कपड़े की जरूरत पड़ रही है ऐसे में इन किफायती (थ्रिफ्ट) स्टोर से अच्छी गुणवत्ता, किफायती चीजें हासिल करना बड़ी बात है।’ राव का कहना है कि उनके पेज पर 95 फीसदी कपड़े लोगों के निजी वार्डरोब से लिए गए हैं। बाकी कपड़े उन्हें लोगों ने बेचने के लिए दिए हैं। वह कहती हैं कि इन कपड़ों की कीमत, उनकी स्थिति और ब्रांड पर निर्भर करती है।

सोशल मीडिया एन्फ्लुएंसर, प्राप्ति इलिजाबेथ अक्सर इंस्टाग्राम थ्रिफ्ट पेज से खरीदारी करती हैं। उनका कहना है कि यहां की खरीदारी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कोई भी किसी खास सामान को पा सकता है। जून 2020 में सस्ते और नए फैशन वाले कपड़े की खरीदारी से जुड़े एक प्लेटफॉर्म, ‘शीन’ सहित कुछ अन्य चीनी ऐप पर केंद्र सरकार की कार्रवाई ने भी उपभोक्ताओं के लिए विकल्पों को सीमित कर दिया जिससे सर्कुलर फैशन सर्किट को बढ़ावा मिला। पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंता की वजह से भी उपभोक्ताओं को फैशन के स्थायी विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया है। हैदराबाद की संस्कृति शर्मा ने पहली बार 2019 के अंत में इंस्टाग्राम थ्रिफ्ट स्टोर पर ब्राउज रना और खरीदना शुरू किया था। अब इस मंच पर थ्रिफ्ट पन्नों की बड़ी तादाद दिखाई पड़ती है।

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