बेंगलूरु .सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आज एक हलफनामा दायर कर कहा कि व्हाट्सऐप विदेशी कंपनी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का दावा नहीं कर सकती। वह अदालत के फैसले या भारतीय कानून की संवैधानिकता को चुनौती भी नहीं दे सकती। हलफनामे में कहा गया है कि व्हाट्सऐप भारतीय कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दी सकती क्योंकि वह विदेशी इकाई है और उसके कारोबार का संचालन भारत से नहीं होता है।
व्हाट्सऐप ने इस साल मई में भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया था और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थता दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया नैतिक संहिता) नियमों, 2021 के संदेश के उद्गम का पता लगाने वाले प्रावधान पर रोक लगाने की मांग की थी। इस प्रावधान के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को आवश्यकता पडऩे पर 50 लाख से ज्यादा उपयोगकर्ताओं के बीच पता लगाना होगा कि संबंधित संदेश पहली बार कहां तैयार किया गया था। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से यह हलफनामा दाखिल किया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी हलफनामा देखा है, जिसमें कहा गया है कि कोई विदेशी व्यावसायिक इकाई अनुच्छेद 19 के तहत अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देकर कानून के प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दे सकती। मामला अदालत में विचारधीन है इसलिए व्हाट्सऐप ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की।
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा, ‘यह तकनीकी तर्क है जिस पर शायद अदालत सहमत न हो। हालांकि सभी मौलिक अधिकार विदेशियों और खास तौर पर कंपनी को उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही भारतीय कंपनियों को भी सभी मौलिक अधिकार उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि मुझे नहीं लगता कि निजता और उपयोगकर्ता का पता लगाने के मामले में अदालत इस तर्क को गंभीरता से लेगी।
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