New delhi. बेंगलुरु की विशेष CBI न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (ED) अधिकारी ललित बाज़ड़ को भ्रष्टाचार एवं जबरन वसूली के मामलों में दोषी ठहराते हुए तीन वर्ष की साधारण कारावास की सज़ा सुनाई है, साथ ही कुल ₹5.5 लाख का जुर्माना लगाया गया है । जज मंजुनाथ सांग्रेश ने स्पष्ट किया कि बाज़ड़ ने ED की बेंगलुरु शाखा में पदस्थ रहते हुए ₹50 लाख की रिश्वत की मांग की — और ₹5 लाख स्वीकार किए, बैंक खाते को डी‑फ्रीज़ करने का वादा करते हुए।
न्यायालय ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act, 1988) की धारा 7 के तहत ₹5 लाख का जुर्माना लगाया है; जुर्माना न देने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त 6 महीने की सज़ा भुगतनी होगी। साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 384 के अंतर्गत एक वर्ष की अतिरिक्त सज़ा और ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है; जुर्माना न देने पर 1 माह की अतिरिक्त सज़ा लागू होगी। दोनों सज़ाएँ समानांतर (concurrent) रूप से दी गई हैं।
मामला तब प्रकाश में आया जब CBI ने जून 2021 में बाज़ड़ को गिरफ्तार किया। आरोप था कि उन्होंने मुंबई की कंपनी Apollo Finvest के मालिकों से ₹50 लाख की रिश्वत की मांग की थी, साथ ही उनके कंपनी खाते को Chinese loan app से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी दी थी। इससे बचने हेतु उन्होंने ₹5 लाख की राशि स्वीकार की थी।
विवेचना के अनुसार, बाज़ड़ ने WhatsApp कॉल के ज़रिये Innani से संपर्क किया और Pub में बैठे हुए पैसे लेने की व्यवस्था की थी। उस रात एक पैकेट में ₹5 लाख pub में पार्किंग कर्मचारी ने बाज़ड़ की कार में रख दिया, जो बाद में CBI द्वारा CCTV फुटेज सहित सबूत प्रस्तुत किया गया था ।
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि बाज़ड़ ने अपनी आधिकारिक क्षमता का दुरुपयोग करते हुए अवैध लाभ लिया और इस तरह भ्रष्टाचार व जबरन वसूली के दोनों अपराधों के लिए दोषी साबित हुआ है।
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