गुरुवार, नवंबर 06 2025 | 12:53:43 PM
Breaking News
Home / राजकाज / नो-फॉल्ट’ मुआवजे की सीमा क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेच को बड़ी बेंच के पास भेजा
Center and RBI told Supreme Court- Loan Moratorium can be extended for 2 years

नो-फॉल्ट’ मुआवजे की सीमा क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेच को बड़ी बेंच के पास भेजा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 163A के तहत ‘नो-फॉल्ट’ मुआवजे की सीमा को लेकर उत्पन्न कानूनी विवाद को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है। प्रश्न यह है कि क्या इस प्रावधान के तहत वाहन मालिक की मृत्यु होने पर, जब कोई तीसरा पक्ष शामिल न हो, उसके उत्तराधिकारियों को मुआवजा मिल सकता है।
यह मामला वाकिया अफरीन (नाबालिग) बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से संबंधित है। याचिकाकर्ता एक नाबालिग बच्ची है, जिसने अपने माता-पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद मुआवजे की मांग की थी। हादसा तब हुआ जब उनके वाहन का टायर फट गया और वह दीवार से टकरा गया।

🧾 मामले की पृष्ठभूमि

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने बच्ची को ₹4 लाख प्रति व्यक्ति मुआवजा देने का आदेश दिया था।
हालांकि, ओडिशा हाई कोर्ट ने 2023 में इस आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि वाहन मालिक (बच्ची के पिता) ही ‘दुर्घटनाकारी’ थे और तीसरा पक्ष मौजूद नहीं था, इसलिए बीमा कंपनी पर कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट की असहमति

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन शामिल थे, ने इस निर्णय से असहमति जताई।
पीठ ने कहा कि अधिनियम की धारा 155 स्पष्ट करती है कि दुर्घटना के बाद बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर भी बीमा कंपनी पर दायित्व बना रहता है।
साथ ही, धारा 163A को एक विशेष और कल्याणकारी प्रावधान बताया गया, जो बिना लापरवाही सिद्ध किए मुआवजे का अधिकार देता है — और इसका दायरा केवल थर्ड पार्टी तक सीमित नहीं माना जा सकता।

🔍 कानूनी मतभेद और बड़ी बेंच को संदर्भ

हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि पूर्व के कई निर्णयों में धारा 163A को केवल थर्ड पार्टी मामलों तक सीमित किया गया है।
इस मतभेद को देखते हुए, अदालत ने कहा कि इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर बड़ी बेंच द्वारा अंतिम निर्णय आवश्यक है।

पीठ ने टिप्पणी की:

“यह स्पष्ट रूप से तय किया जाना आवश्यक है कि क्या बीमा कंपनी धारा 163A के तहत वाहन मालिक की मृत्यु पर उत्तराधिकारी को मुआवजा देने के लिए बाध्य है या नहीं।”

👧 अंतरिम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बच्ची की मां की मृत्यु पर ₹4.08 लाख का मुआवजा बहाल कर दिया, जिसे MACT ने मंजूर किया था।
पिता की मृत्यु पर मुआवजा बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार ₹2 लाख तक सीमित किया गया।
मुख्य प्रश्न — क्या पिता की मृत्यु पर भी अतिरिक्त ‘नो-फॉल्ट’ मुआवजा मिल सकता है — अब बड़ी पीठ तय करेगी।

👨‍⚖️ प्रतिनिधित्व और आगामी प्रक्रिया

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सत्यकाम शर्मा, जबकि बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता अंभोज कुमार सिन्हा ने पैरवी की।
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंपा गया है, जो इस जटिल कानूनी प्रश्न पर प्रामाणिक निर्णय देगी।

Check Also

PM Modi's vision is brilliant, India's goal of becoming the fifth largest shipbuilder by 2047 is realistic: Italian Ambassador

पीएम मोदी का विजन शानदार, 2047 तक भारत को पांचवां सबसे बड़ा शिपबिल्डर बनने का लक्ष्य व्यवहारिक : इटली के राजदूत

मुंबई। भारत में इटली के राजदूत एंटोनियो एनरिको ने बुधवार को कहा कि विजन शब्द …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *