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एक मां का विश्वास बना बेटी का साहस: सोने जैसा चमका नीता का भावनाओं से भरा केआईयूजी कांस्य पदक

जयपुर. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की एथलीट नीता कुमारी आज शादीशुदा जीवन बिता रही होतीं, अगर उनकी मां और बहनों ने उन्हें खेल जारी रखने के लिए हौसला न दिया होता! पांच बहनों और एक भाई वाले परिवार से आने वाली नीता दूसरी सबसे बड़ी संतान हैं। राजस्थान के अलग-अलग खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी उनकी बहन-भाइयों की तरह, नीता की खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 के हेप्टाथलॉन में कांस्य पदक तक की यात्रा संघर्ष और धैर्य से गढ़ी गई है।

साल 2013 में जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तभी उनके पिता तेजा राम (जो मुंबई में सरकारी कॉन्ट्रैक्टर थे) राजस्थान के जालोर जिले के अपने गांव धामसीन में करंट लगने से चल बसे। उस वक्त उनकी मां-परवती देवी, केवल 36 साल की थीं और सात महीने की गर्भवती भी थीं। कमाने वाले सदस्य के गुजर जाने के बाद परिवार को मुंबई छोड़कर अपने गांव लौटना पड़ा और जीवन को दोबारा शून्य से शुरू करना पड़ा।

 

सालों बाद, जब उनकी छोटी बहन गोमती की 18 वर्ष की उम्र में शादी कर दी गई, तो लगा कि नीता भी शायद यही राह पकड़ लेंगी। लेकिन एथलेटिक्स में उनकी बढ़ती रुचि देखकर मां ने उन्हें खेल जारी रखने की अनुमति दी। वह एक ऐसा फैसला था, जिसने आज रंग दिखाना शुरू कर दिया है।

 

गुरुवार को, पिछले एक साल में कई चोटों से जूझने के बाद नीता ने केआईयूजी 2025 में शानदार वापसी करते हुए कांस्य पदक जीता। खास बात यह है कि यह केआईयूजी कांस्य उनका पहला राष्ट्रीय पदक भी है, और अब उनसे उम्मीदें और बढ़ गई हैं।

 

नीता ने 2019 में पहली बार एथलेटिक्स में कदम रखा था, लेकिन उन्होंने गम्भीर प्रशिक्षण कोविड लॉकडाउन के बाद, 2022 से शुरू किया। वह शुरू में हाई जंप और स्प्रिंट में हिस्सा लेती थीं, लेकिन उनकी बहुमुखी प्रतिभा देखकर कोच ने उन्हें हेप्टाथलॉन की ओर मोड़ा। यह एक कठिन दो-दिवसीय प्रतियोगिता है, जिसमें सात इवेंट -हर्डल्स, हाई जंप, शॉट पुट, 200 मीटर, लॉन्ग जंप, जेवलिन और 800 मीटर शामिल होते हैं। इन सारे इवेंट्स में अच्छा प्रदर्शन कर सबसे अधिक अंक जुटाने वाले खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है।

 

यह नीता का पहला केआईयूजी था। पिछली बार वह पीठ की चोट के कारण हिस्सा नहीं ले पाई थीं, और इस बार भी वह पैर की चोट के बावजूद ट्रैक पर उतरीं। मगर प्रतियोगिता घर के क़रीब हो रही थी, इसलिए वह इसे छोड़ना नहीं चाहती थीं।

 

फिलहाल करनाल स्टेडियम में प्रशिक्षण ले रहीं नीता का लक्ष्य अपना पर्सनल बेस्ट 4862 पॉइंट्स हासिल करना था, जो हासिल हो जाता तो उन्हें स्वर्ण मिलता, क्योंकि केआईआईटी की ईशा चंदर प्रकाश ने 4857 पॉइंट्स के साथ नया मीट रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण जीता। मनोनमनियम विश्वविद्यालय की मगुदीश्वरि एस ने 4648 पॉइंट्स के साथ रजत जीता।

 

नीता ने साई मीडिया से कहा, “मैं यहां अपना पर्सनल बेस्ट करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पैर की चोट की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। अगर मिल जाता तो गोल्ड था। फिर भी यह मेरा पहला नेशनल मेडल है। यह कांस्य आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।”

 

वह अपने सपोर्ट सिस्टम—खासकर मां और कोचों—को इसका श्रेय देती हैं। नीता ने कहा, “आज मैं जहां हूं, वह मेरी मां के त्याग की वजह से है। पिता के गुजरने के बाद आर्थिक हालात इतने खराब हो गए थे कि हम पढ़ाई भी छोड़ने वाले थे। लेकिन मां ने हमें संभाला और मुझे खेल जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। कोच भी हमेशा मेरा साथ देते रहे हैं, चाहे हालात अच्छे हों या बुरे।”

 

कभी सब कुछ छोड़ देने की कगार पर पहुंच चुकी नीता के लिए, केआईयूजी 2025 का यह कांस्य पदक सच में सोने की तरह चमकता है।

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