जयपुर। सरकार ने बीते जुलाई में चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए पांच साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की घोषणा की थी। उस समय विशेषज्ञों ने सुस्त रफ्तार को देखते हुए इस लक्ष्य को पाने में संदेह जाहिर किया था। उन्हें वास्तविकता का अहसास था कि देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, ऐसे में पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की बात करना बेमानी है।
विशेषज्ञों की इस आशंका और मांग में सुस्ती और नौकरियों के संकट से बदहाली का संकेत देती अर्थव्यवस्था के वास्तविक संकट पर सरकार के ताजा आंकड़ों ने मुहर लगा दी है। दरअसल देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पांच फीसदी रह गई है जो न सिर्फ मोदी सरकार के सवा पांच के कार्यकाल की सबसे सुस्ती रफ्तार है, बल्कि सात साल में सबसे धीमी विकास दर है।
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