सोमवार, मई 12 2025 | 06:52:30 PM
Breaking News
Home / स्वास्थ्य-शिक्षा / अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रति भेदभाव: भारत की छवि पर सवाल

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रति भेदभाव: भारत की छवि पर सवाल

Delhi. भारत हमेशा से “वसुधैव कुटुंबकम्” (पूरा विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत को अपनाता आया है। लेकिन हाल ही में भुवनेश्वर स्थित केआईआईटी (KIIT) विश्वविद्यालय में हुई घटना ने इस सिद्धांत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 16 फरवरी को बी.टेक तृतीय वर्ष की नेपाली छात्रा ने केआईआईटी विश्वविद्यालय के हॉस्टल में आत्महत्या कर ली। इस दुखद घटना के बाद भारतीय और नेपाली छात्रों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके चलते विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी नेपाली छात्रों को अनिश्चितकाल के लिए परिसर खाली करने का निर्देश दिया।

यह निर्णय न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह भारत के अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रति रवैये पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। नेपाल के अलावा, इससे पहले कश्मीर, लद्दाख और तिब्बत के छात्रों को भी अलग-अलग राज्यों में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

क्या भारत अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सुरक्षित है?

भारत में उच्च शिक्षा का स्तर अच्छा होने के कारण नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, तिब्बत, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों से हजारों छात्र यहाँ अध्ययन करने आते हैं। लेकिन क्या उन्हें यहाँ उचित सुरक्षा और सम्मान मिल रहा है?

राजस्थान में कश्मीरी छात्रों का निलंबन:2024 में मेवाड़ विश्वविद्यालय, चित्तौड़गढ़ में 35 कश्मीरी छात्रों को बीएससी नर्सिंग कोर्स की मान्यता न होने के खिलाफ आवाज उठाने पर निलंबित कर दिया गया। कर्नाटक में धार्मिक भेदभाव: नवंबर 2024 में कर्नाटक के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में 40 कश्मीरी छात्रों को दाढ़ी काटने के लिए मजबूर किया गया। जयपुर में कश्मीरी छात्रों का निष्कासन: अगस्त 2017 में सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय ने 250 कश्मीरी छात्रों को होस्टल खाली करने के लिए मजबूर किया, क्योंकि केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को “फर्जी” करार दिया था और छात्रवृत्ति रोक दी थी।

 

इन घटनाओं से साफ है कि कई संस्थानों में प्रशासनिक असंवेदनशीलता और भेदभाव के कारण छात्रों को मानसिक और शैक्षणिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार और संस्थानों की जिम्मेदारी

भारत यदि वैश्विक शिक्षा केंद्र बनना चाहता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

  • छात्रों की सुरक्षा के लिए ठोस नियम लागू किए जाएं।
  • संस्थानों को जवाबदेह बनाया जाए कि वे बिना भेदभाव के छात्रों को शिक्षा प्रदान करें।
  • राजनीतिक और सामाजिक तनाव का शिकार छात्रों को न बनाया जाए।

 

यदि इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह घटनाएँ न केवल भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को प्रभावित करेंगी, बल्कि यहाँ आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में भी भारी गिरावट आ सकती है। भारत को “अतिथि देवो भवः” की भावना को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि किसी भी छात्र को असुरक्षा का अहसास न हो।

Check Also

RAS Recruitment 2023:- More than 6 lakh 97 thousand candidates applied online

आरएएस भर्ती-2023 के साक्षात्कार का तृतीय चरण 19 से 28 मई तक

जयपुर। आरपीएससी ने राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं भर्ती-2023 के साक्षात्कार के तृतीय चरण का …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *