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राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह—2025 पर पुरस्कारों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित

राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह—2025 पर पुरस्कारों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित

जयपुर। राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी राज्य स्तरीय संस्कृत-दिवस-समारोह में संस्कृत-क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले संस्कृत विद्वानों का सम्मान किया जायेगा। आयुक्त, संस्कृत-शिक्षा, राजस्थान द्वारा सभी जिला कलक्टर, विश्वविद्यालय-कुलसचिवों, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारियों, निदेशक, प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा, एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के संस्था-प्रधानों के माध्यम से विद्वत्-प्रस्ताव आमन्त्रित किये गये हैं। आयुक्त, संस्कृत—शिक्षा प्रियंका जोधावत ने बताया कि प्रस्तावों के साथ विद्वानों का संक्षिप्त परिचयात्मक विवरण निर्धारित प्रपत्र में चाहा गया है। प्रस्ताव  15 जुलाई 2025 तक अनिवार्य रूप से डाक द्वारा/व्यक्तिगत रूप से एवं विभागीय ईमेल ([email protected]) पर भेजे जा सकेंगे। विस्तृत जानकारी एवं आवेदन-प्रारूप विभागीय वेबसाइट https://education.rajasthan.gov.in/sanskrit पर उपलब्ध है।
संस्कृत दिवस समारोह पर संस्कृत विद्वानों के सम्मान की योजना के अन्तर्गत विद्वानों के चयन हेतु निर्धारित मानदण्ड —

योजना

संस्कृत विद्वानों की समाज में प्रतिष्ठा बढाने तथा समाज के प्रति की गई प्रशंसनीय सेवाओं के लिए उत्कृष्ट एवं उच्च कोटि के संस्कृत विद्वानों तथा संस्कृत कर्मियों को प्रतिवर्ष संस्कृत-दिवस समारोह के अवसर पर राज्यस्तरीय पुरस्कार से पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाना।

कार्यक्षेत्र

पुरस्कार हेतु निम्नलिखित कार्यक्षेत्रों में शैक्षणिक अर्हता एवं विशेष दक्षता रखने वाले, उल्लेखनीय साहित्यसर्जन करने वाले, समाज में संस्कृत शिक्षा और उसके शिक्षण की प्रतिष्ठा हेतु प्रशंसनीय-सेवा करने वाले तथा संस्कृत के प्रचार-प्रसार, विकास और विस्तार के लिए सचेत, सजग और समर्पित उन संस्कृत-शिक्षाविदों, विद्वानों एवं संस्कृत कर्मियों को चुना जायेगा-
  • जिन्होंने परम्परागत वेदपाठ का अभ्यास कर अथवा छात्रों को सस्वर वेद संहिताओं का अध्यापन कर अथवा वेद-भाष्यों के अनुशीलन, उपनिषदों के अध्ययन तथा अन्य वैदिक वाङ्मय के विवेचन का कार्य कर वैदिक वाङ्मय की सेवा की है।
  • जो शास्त्रीय-परम्पराओं के अध्येता होने के साथ-साथ, शास्त्र-विशेष के अधिकृत विद्वान हों।
  • जिन्होंने संस्कृत वाङ्मय के विभिन्न अंगों, किसी अंग/ उपांग में अन्तर्निहित गूढ-ज्ञान के प्रकाशन द्वारा संस्कृत वाङ्मय की श्रीवृद्धि की हो।
  • जिन्होंने संस्कृत अध्ययन-अध्यापन एव प्रशिक्षण पद्धतियों में नवाचार का प्रयोग कर इस क्षेत्र में साहित्य-सर्जन किया हो।
  • जिन्होंने उच्चस्तर की शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं संचालन कर संस्कृत-शिक्षा की विशिष्ट-पहचान बनाई हो।
  • जिन्होंने संस्कृत वाङ्‌मय को आधार बनाकर अनुसंधान, तुलनात्मक अध्ययन या शोधात्मक सेवा द्वारा अन्वेषण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर संस्कृत वाङ्मय की सेवा की हो एवं संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान को प्रकाशित एवं प्रचारित किया हो।
  • जिन्होंने सम-सामयिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एव सांस्कृतिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य संस्कृत – वाङ्मय के महत्व में योगदान कर सापेक्ष्य रूप से रचनाओं का लेखन आदि का प्रसारण कर जान संचार माध्यमों के द्वारा संस्कृत को जन जन तक पहुँचाने में विशिष्ट उल्लेखनीय भूमिका का निर्वाह किया हो।
  • जिन्होंने संस्कृत-भाषा के व्याकरण तथा उसकी वैज्ञानिकता, उत्कृष्टता एवं विशालता के बारे में युक्तियुक्त-विश्लेषण कर देववाणी के तात्पर्य की पृष्ठभूमि एवं सार्थकता प्रमाणित करने हेतु लेखन या प्रचार-माध्यमों द्वारा महत्त्वपूर्ण योगदान किया हो।
सम्मानार्थ चुने जाने वाले योग्य-विद्वानों के लिए किसी एक मानदण्ड के अन्तर्गत पात्र पाया जाना पर्याप्त होगा तथा परम्परागत शैली एवं आधुनिक शैली दोनों प्रवृत्तियों के विद्वान इसके लिये पात्र होंगे।

विशेषः-

  • सम्माननीय-विद्वान का चयन करते समय उसकी शैक्षणिक अर्हताओं, मौलिक रचनाओं, शोधकार्यों एवं अन्य लेखन-कार्य तथा संस्कृत-शिक्षा के विकास, विस्तार व प्रसार की दृष्टि से प्राप्त उपलब्धियों का प्रमुख रूप से समग्र मूल्यांकन किया जायेगा ताकि चयन प्रक्रिया पूर्णतया वस्तुपरक एवं तथ्यपरक हो सकेगी।
  • यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि चयन सम्पूर्ण-राजस्थान को दृष्टिगत रखते हुए किया जायेगा।
  • ऐसे संस्कृत के प्रौढ़-पाण्डित्य वाले लब्धप्रतिष्ठ-विद्वान जिनकी शैक्षणिक अर्हता अपेक्षाकृत कम है, उनका चयन संस्कृत-क्षेत्र में अर्जित अन्य उपलब्धियों की संवीक्षा के आधार पर किया जा सकेगा।

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