
नई दिल्ली. उम्मीद थी कि घरों पर जीएसटी में कटौती से रियल्टी कंपनियों के शेयरों में तेजी आएगी। मगर रियल्टी शेयरों में तेजी नहीं दिखी। जीएसटी परिषद ने बन रहे घरों पर जीएसटी की दरें 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। काउंसिल ने यह फैसला रविवार को लिया था। साथ ही किफायती आवास वर्ग के घरों के लिए कर दरों को 8 फीसदी से घटाकर सिर्फ एक फीसदी कर दिया गया है। इस खबर ने सोमवार के शुरुआती कारोबार के दौरान रियल्टी शेयरों में जोश भरा मगर सत्र के अंत तक यह तेजी गायब हो गई। विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी दरों में कटौती को लेकर बना तेजी का बुलबुला ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता। पहली बात कि जीएसटी परिषद ने ये दरें इनपुट टैक्स क्रेडिट घटाए बिना दी हैं। यानी यह राहत सिर्फ ग्राहकों को ही मिली है। डेवेलपर्स को इससे फायदा नहीं होगा। सरकार को उसका हिस्सा मिलता रहेगा जिसके फलस्वरूप डेवेलपर्स बेस कीमतों में इजाफा कर सकते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि ग्राहकों को मिली राहत भी सीमित हो होने वाली है। एसबीआईकैप सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित परिदृश्य के अनुसार ग्राहकों को मिलने वाली सारी राहत का बोझ डेवेलपर्स पर आने वाला है। सरकार की हिस्सेदारी में कमोबेश कोई विशेष बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया सभी संभावनाओं पर गौर करें तो डेवेलपर्स द्वारा बेस प्राइस में वृद्धि के ठोस आसार नजर आ रहे हैं। इससे उनकी बढ़ी लागत को कम किया जा सकता है। इस वजह से ग्राहकों को मिलने वाले लाभ सीमित हो जाएंगे।
Corporate Post News