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Smile came on the faces of the farmers, setting up the industry became easy

किसानों के चेहरों पर आई मुस्कान उद्योग लगाना हुआ आसान

राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति, प्रसंस्करण इकाई पर मिल रहा 2 करोड़ 60 लाख रुपए तक का अनुदान योजना से राज्य में 2 हजार 589 करोड़ रुपये से अधिक का हुआ निवेश

जयपुर। प्रदेश के किसानों को कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लागू की गई राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। दिसम्बर 2019 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा लाई गई इस नीति के तहत अनुदान प्राप्त कर राज्य के किसान कृषि प्रसंस्करण उद्योग, कोल्ड स्टोरेज, पैकहाउस औऱ मिल्क चिलिंग प्लांट स्थापित कर रहे हैं। इससे न केवल उनके कृषि उत्पादों को नया बाजार मिला है, बल्कि उनकी आय में भी इजाफा हो रहा है। किसानों को राज्य में कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए नीति के तहत 2 करोड़ 60 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा दिये जा रहे अनुदान का लाभ उठाकर किसान अपनी फसल को खेत के निकट ही प्रसंस्करित कर उसकी कीमत में वृद्धि कर रहे हैं। इससे किसानों को अपनी फसल की बेहतरीन कीमत तो मिल ही रही है, साथ ही अकुशल, अर्धकुशल व कुशल शक्ति के लिए रोजगार भी सृजित हो रहा है। राज्य सरकार की इस किसान कल्याणकारी नीति के चलते प्रदेश अब प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों के उत्पादन और निर्यात का केन्द्र बन गया है। नीति के माध्यम से प्रदेश में अब तक कुल 2 हजार 589 करोड़ 21 लाख रुपये का निवेश हुआ है। इससे राज्य में नए रोजगारों का सृजन हुआ है एवं सकल घरेलू उत्पाद में भी वृद्धि हुई है।

प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने पर 75 प्रतिशत तक सब्सिडी

कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के शासन सचिव डॉ पृथ्वी ने बताया कि योजना के तहत 5 करोड़ रुपये तक की पूंजीगत लागत से नवीन कृषि प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना के लिए किसान या उनके संगठन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए लागत का 75 प्रतिशत या अधिकतम एक करोड़ 50 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही अन्य पात्र उद्यमियों के लिए लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम एक करोड़ 50 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है।

पूंजीगत अनुदान के अतिरिक्त ऋण पर एक करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान-

डॉ पृथ्वी ने बताया कि प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने पर किसानों को पूंजीगत अनुदान के अतिरिक्त ऋण पर ब्याज अनुदान देकर लाभान्वित किया जा रहा है। जिसमें किसानों को 6 प्रतिशत की दर से अधिकतम एक करोड़ रुपये तक का ब्याज अनुदान अनुदान देय है। वहीं अन्य को 5 प्रतिशत की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है।

इकाई स्थापित करने के बाद भी दिया जा रहा सहयोग

राज्य सरकार द्वारा किसानों को प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के बाद सहूलियत के लिए व्यापार के संचालन तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में राज्य के उत्पादन की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रावधान भी किया गया है।

प्रोत्साहन के तौर पर राज्य सरकार द्वारा विद्युत प्रभार पर 5 साल तक 2 लाख रुपये प्रतिवर्ष देने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर 10 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है तथा सामग्री के पेटेंट तथा डिजाइन के पंजीकरण के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम 2 लाख रुपये का प्रोत्साहन दिया जाता है। साथ ही गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए प्रत्येक प्रमाणन पर 2 लाख रुपये का प्रमाणन अनुदान भी देय हैं।

राज्य सरकार द्वारा कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम 25 लाख रुपए प्रति संस्थान दिये जाने का प्रावधान भी योजना के तहत किया गया है। इसके अलावा परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये का प्रावधान तथा शोध एवं विकास के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम 20 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।

परिवहन भत्ते से लाभान्वित हो रहे किसान

किसानों को ताजा फल, सब्जी तथा फूलों के निर्यात पर 3 वर्ष तक अधिकतम 10 लाख रुपये का भाड़ा अनुदान दिया जा रहा है। साथ ही अजैविक रूप से प्रमाणित उत्पादों के निर्यात पर 5 वर्ष तक अधिकतम 20 लाख रुपए का भाड़ा अनुदान देय है।

राज्य में स्थापित हुई 1103 प्रसंस्करण इकाई

शासन सचिव डॉ पृथ्वी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नीति के तहत अब तक 1 हजार 103 इकाइयों के लिए 399 करोड़ 87 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है। इन इकाइयों के माध्यम से राज्य में 2 हजार 589 करोड़ 21 लाख रुपए का निवेश हुआ है। कुल इकाइयों में से 280 इकाइयों के लिए महिलाओं वर्ग को 103 करोड़ 28 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है। इसी प्रकार 260 इकाइयां कृषक वर्ग द्वारा स्थापित की गई हैं, जिसमें 85 करोड़ 13 लाख रुपये का अनुदान दिया गया है। नीति के तहत ब्याज, परिवहन, विद्युत औऱ सौर ऊर्जा संयंत्र पर 87 प्रसंस्करण इकाइयों को 4 करोड़ 26 लाख रुपये का अनुदान देकर लाभान्वित किया गया है।

इन स्वीकृत प्रकरणों में 341 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 330 वेयरहाउस, 9 कोल्ड स्टोरेज और 2 पैक हाउस सम्मिलित हैं। साथ ही 762 प्रोसेसिंग यूनिट इकाई स्थापित की गई हैं, जिसमें तिलहन प्रसंस्करण की 169 इकाइयां, दाल की 76, मसाला की 70, कपास की 66, मूंगफली की 60, अनाज की 52, ग्रेडिंग सोर्टिंग कि 33, फल सब्जी की 32, पशु आहार की 30, दुग्ध प्रसंस्करण की 69, ग्वार की 15, प्याज-लहसुन की 7, चावल की 11 एवं अन्य विविध इकाइयों की 72 प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की गई हैं।

इनकी लगा सकते हैं प्रसंस्करण इकाई

राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना के तहत फल और सब्जी प्रसंस्करण, मसाला प्रसंस्करण, अनाजों व अन्य उपभोक्ता खाद्य प्रसंस्करण, तिलहन उत्पादन, चावल और आटा मिलिंग, दलहन प्रसंस्करण, हर्बल, औषधीय, फूल और सुगंधित उत्पाद, लघु वन उपज प्रसंस्करण, शहद प्रसंस्करण, गैर खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य जायके और रंग, ओलीओरेजिन्स और मशरूम सहित अन्य प्रकार के कृषि औऱ बागवानी उत्पादों का प्रसंस्करण इकाई स्थापित कर सकते हैं। इसी प्रकार मशरूम उत्पादन बायो- चारा और पेलेट्स में कृषि अपशिष्ट का प्रसंस्करण भी स्थापित कर सकते हैं। पशुपालन क्षेत्र में दूध प्रसंस्करण, मांस, मुर्गा एवं मत्स्य प्रसंस्करण, केटल फीड, मुर्गी दाना, फिश मील उत्पाद की प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर सकते हैं। इनके अलावा संग्रहण एवं प्राथमिक प्रशिक्षण प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड स्टोरेज, फ़ूड इरेडिएशन प्रोसेसिंग प्लांट, कोल्ड चेन, पैक हाउस, फूड पार्क एवं एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर्स की इकाइयाँ, रिफर वैन योजना के तहत स्थापित कर सकते हैं।

प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा

किसान और उद्यमी योजना के तहत प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिए राज किसान साथी पोर्टल पर आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

योजना के तहत अवनीश और हर्षित को मिला 50 लाख रुपये का अनुदान

जयपुर जिले के निवासी अवनीश उपाध्याय कहते हैं कि उन्होंने 25 करोड़ की लागत से मिल्क प्रसंस्करण इकाई स्थापित की थी। जिसमें उन्हें राज्य सरकार द्वारा राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 के तहत 50 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। उन्होंने बताया कि मिल्क प्लांट में दूध, दही और लस्सी के उत्पाद बना कर पूरे प्रदेश में विक्रय कर रहे है।अवनीश कहते है कि उनका टर्न-ओवर 10 करोड रुपए तक है। इस योजना का लाभ लेकर अवनीश स्वयं तो आत्मनिर्भर बने ही हैं साथ ही 100 से ज्यादा लोगों को भी रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं। इसके लिए वे मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करते हैं।

इसी प्रकार जयपुर जिले के निवासी हर्षित दुसाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उन्होंने 3 करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से सोर्टिंग ग्रेडिंग मूंगफली की प्रसंस्करण इकाई स्थापित की थी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022 में 50 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। हर्षित ने बताया कि वे अपने उत्पादों को बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका के साथ पूरे देश भर में विक्रय कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका टर्न-ओवर 45 करोड़ रुपये तक है। साथ ही वे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 30 से ज्यादा लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।

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