New Delhi. भारत से मार्च में हुए निर्यात (export in india 2023) की रफ्तार लगभग तीन वर्षों में सबसे कम रही। उस महीने देश का निर्यात 13.9 फीसदी घटकर 38.38 अरब डॉलर रह गया। भू-राजनीतिक व्यवधान और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के कारण विदेशी मांग घट गई, जिससे निर्यात प्रभावित हुआ। मई 2020 में कोरोनावायरस महामारी के कारण भारत का निर्यात 34.6 फीसदी घट गया था।
हालांकि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (ministry of commerce and industry) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में कुल वस्तु निर्यात 6 फीसदी बढ़कर 446.47 अरब डॉलर हो गया। इसे मुख्य तौर पर वित्त वर्ष 2023 के पहले छह महीनों में जबरदस्त वृद्धि से बल मिला। ऊंची मुद्रास्फीति के कारण विकसित अर्थव्यवस्थाओं से मांग कम हो गई, मौद्रिक नीति में सख्ती आ और जिंस के दाम गिर गए। इन वैश्विक चुनौतियों का असर अक्टूबर के बाद दिखने लगा था।
मार्च में वस्तुओं का आयात 7.89 फीसदी घट
मार्च में वस्तुओं का आयात 7.89 फीसदी घटकर 58.11 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान उर्वरक, कोयला, पेट्रोलियम उत्पादों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के भी आयात में कमी दर्ज की गई। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 के दौरान कुल आयात 16.5 फीसदी बढ़कर 714 अरब डॉलर हो गया। इन सबके बीच मार्च में व्यापार घाटा बढ़कर तीन महीनों के सबसे बड़े आंकड़े 19.73 अरब डॉलर पर पहुंच गया। कुल व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022 के 191 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 267 अरब डॉलर हो गया।
निर्यात में वृद्धि की रफ्तार सुस्त
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आगे चलकर निर्यात में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है क्योंकि वैश्विक मांग में नरमी बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा, ‘रुपया कमजोर होने के बजाय मजबूत होने के आसार दिख रहे हैं। इससे मुद्रा का फायदा भी कम होगा। आयात संभवत: स्थिर रहेगा जिससे चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। मगर यह काफी हद तक तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।’