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Attention of the poor, respect for entrepreneurs

गरीब का ध्यान, उद्यमियों का सम्मान…एफसीआई में अगले वित्त वर्ष तक 58,000 करोड़ रुपये रह जाएगा कर्ज 

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इस महीने पेश बजट (Budget 2021-22) को ‘पूंजीपतियों का बजट’ कहने वाले विपक्ष को आज आड़े हाथों लिया और उसके आरोप को बेबुनियाद करार दिया। राज्यसभा में बजट 2021-22 (Budget 2021-22) पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा समाज के सबसे निचले तबके के लोगों का कल्याण करने और संपत्ति सृजक तथा करदाताओं का भी ख्याल रखने की है।

भारत के उद्यमियों का सम्मान होना चाहिए

पिछले कुछ वर्षों में गरीबों के लिए किए गए सरकार के उपायों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि भारत के उद्यमियों का सम्मान होना चाहिए न कि उन पर तमाम तरह के नियम और लाइसेंस का बोझ लादा जाना चाहिए। उन्होंने सीधे कांग्रेस का नाम नहीं लिया लेकिन उनका इशारा स्पष्ट तौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान की ओर था। राहुल ने सरकार की नीतियों को ‘सांठगांठ वाले पूंजीवाद’ और ‘हम दो हमारे दो’ को बढ़ावा देने वाला बताया था।

2021-22 का बजट आत्मनिर्भर भारत के लिए : सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि 2021-22 का बजट (Budget 2021-22) आत्मनिर्भर भारत (Self reliant india) के लिए है और सरकार दीर्घावधि में टिकाऊ विकास पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, ‘आनन-फानन में थोड़े समय के लिए इलाज करने के बजाय हम मध्यम से दीर्घ अवधि तक टिकने वाले विकास पर ध्यान दे रहे हैं, जो भारत को विकास के पथ पर बनाए रखेगा और दुनिया में इसे सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्थाओं (Fastest growing economies) में शामिल कराएगा।’

एफसीआई में अगले वित्त वर्ष तक 58,000 करोड़ रुपये रह जाएगा कर्ज

विवादास्पद कृषि कानूनों (Agricultural laws) पर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का बहीखाता दुरुस्त किया है, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में मदद मिलेगी। एफसीआई (FCI) पर राष्ट्र्रीय लघु बचत कोष (National small savings fund) का बकाया कर्ज (Outstanding debt of india) मार्च अंत तक 3.39 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.19 लाख करोड़ रुपये रह गया है और अगले वित्त वर्ष तक यह 58,000 करोड़ रुपये रह जाएगा। सरकार ने एफसीआई में 2,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पूंजी निवेश किया है, ताकि वह खरीद और भंडारण को बेहतर तरीके से जारी रख सके।

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