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Retail inflation again beyond the comfort zone of the Reserve Bank

Hindenburg effect: रिजर्व बैंक ने बैंकों से मांगा अदाणी को जनवरी तक के कर्ज का ब्योरा

Jaipur. अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट देखकर हरकत में आए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वाणिज्यिक बैंकों से पूछा है कि उन्होंने अदाणी समूह को कितना कर्ज दिया है। अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयर भाव में हेरफेर और खातों में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था, जिससे समूह के शेयर टूट रहे हैं। बैंकरों ने बताया कि बैंकिंग नियामक ने सभी वाणिज्यिक बैंकों से अदाणी समूह को 31 जनवरी तक दिए गए कर्ज और समूह पर बकाया कर्ज का ब्योरा मांगा है। एक बड़े बैंक के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘हमने कल ही पूरा ब्योरा दे दिया है।’ पिछले हफ्ते रेटिंग एजेंसियों ने भी वाणिज्यिक बैंकों से यही पूछा था।

21,000 करोड़ रुपये अदाणी समूह में लगे एसबीआई के

अनाम सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग ने कहा है कि देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के करीब 2.6 अरब डॉलर या 21,000 करोड़ रुपये अदाणी समूह में लगे हैं, जिनमें 20 करोड़ डॉलर का कर्ज बैंक की
विदेशी शाखाओं ने दिया है। एसबीआई ने पहले कहा था कि अदाणी समूह में उसका कर्ज आरबीआई के बड़े निवेश की सीमा से काफी कम है। पंजाब नैशनल बैंक के 7,000 करोड़ रुपये समूह पर उधार हैं।

20,000 करोड़ रुपये का अपना एफपीओ वापस

कल रात अदाणी समूह ने 20,000 करोड़ रुपये का अपना एफपीओ वापस लेने की घोषणा की थी। अदाणी एंटरप्राइजेज का यह निर्गम सफल रहा था और उसे पूर्ण आवेदन प्राप्त हुए थे। फिर भी शेयरों में लगातार गिरावट से अदाणी समूह का बाजार पूंजीकरण घट रहा है और आज इसमें 100 अरब डॉलर की कमी आ गई।

2.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था वित्त वर्ष 2022 में

ब्रोकिंग फर्म सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में अदाणी समूह की शीर्ष पांच कंपनियों – अदाणी एंटरप्राइजेज, अदाणी पोर्ट्स, अदाणी पावर, अदाणी ग्रीन और अदाणी ट्रांसमिशन पर कुल 2.1 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था और अंतर-समूह उधारी को अलग कर दें तो यह 1.9 लाख करोड़ रुपये रहता है। सीएलएसए ने नोट में कहा है, ‘बैंकों का कर्ज (टर्म लोन, कार्यशील पूंजी, अन्य सुविधाएं) कुल कर्ज का केवल 38 फीसदी है। हमारे हिसाब से वित्त वर्ष 2022 में कुल 2,000 अरब रुपये के कर्ज में से 700 से 800 अरब रुपये तो बैंकों का कर्ज ही था।’

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