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सतर्क रुख अपनाएगा आरबीआई

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई के जोखिम को देखते हुए सूक्ष्म एवं सतर्क रवैया अपनाएगा। केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति संतुलित रखने के साथ बैंकिंग तंत्र में पर्याप्त नकदी की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा। वर्ष 2021-22 के लिए आज जारी केंद्रीय बैंक की सालाना रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने वर्ष 2021-22 में सरकार को केवल 30,307.45 करोड़ रुपये अधिशेष रकम हस्तांतरित की है। इससे पिछले वर्ष आरबीआई ने सरकार को 99,122 करोड़ रुपये दिए थे। आपात कोष के मद में अधिक रकम के प्रावधान के कारण इस रकम में कमी आई है।

वित्त वर्ष 2022 में आपात कोष के लिए आरबीआई ने 1.15 लाख करोड़ रुपये रकम का प्रावधान किया। इससे पिछले वर्ष इस कोष के लिए 20710.12 करोड़ रुपये रकम अलग रखी गई थी।

केंद्रीय बैंक ने रूस-यूक्रेन में युद्ध के बाद महंगाई में आई तेजी से आगाह किया है। आरबीआई ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय बजार में कच्चे तेल, धातु और उर्वरकों के दाम बढऩे से व्यापार को झटका लगा है। व्यापार कमजोर पडऩे से चालू खाते का घाटा बढ़ गया है।’ यूरोप में युद्ध के बाद बदले हालात को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने महंगाई नियंत्रित करने के लिए अपने रुख में बदलाव किया है। कोविड-19 महामारी के प्रसार के बाद से पिछले दो वर्षों के दौरान आरबीआई का पूरा ध्यान आर्थिक वृद्धि दर तेज करने पर था मगर अब महंगाई नियंत्रित करना उसके लिए शीर्ष प्राथमिकता बन गई है।

आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वर्ष 2020-21 में औसत महंगाई 5.5 प्रतिशत रही जो एक वर्ष पहले 6.2 प्रतिशत थी। वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में खुदरा महंगाई 6 प्रतिशत से अधिक हो गई जिससे मौद्रिक नीति तय करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।’ महंगाई नियंत्रित करने के लिए आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली से नकदी निकालनी शुरू कर दी है। 2021-22 के दौरान वित्तीय तंत्र से 2.2 लाख करोड़ रुपये वापस लिए गए।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘आरबीआई नकदी प्रबंधन पर संतुलित एवं सरल रवैया अपनाएगा और इसके साथ ही ऋण आवंटन के लिए नकदी की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा।’

अर्थव्यवस्था में सुधार पर आरबीआई ने कहा कि चुनौतियों के बीच हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘पिछला वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहा मगर तमाम चुनौतियों के बावजूद आर्थिक हालात पहले से मजबूत हो रहे हैं। आपूर्ति व्यवस्था की दिक्कतें दूर करने, महंगाई नियंत्रित रखने के साथ ही आर्थिक वृद्धि मजबूत बनाने और मांग में सुधार के लिए नीतिगत स्तर पर समर्थन से भविष्य में स्थितियां सुधरती जाएंगी।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती संकेत आर्थिक गतिविधियों में सुधार की तरफ इशारा कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता एवं कारोबारी धारणा को मजबूती और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सुधार की निरंतरता बनाए रखनी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कई उद्योगों में क्षमता का इस्तेमाल सामान्य स्तर तक पहुंच रहा है। मगर बढ़ती लागत और आपूर्ति से जुड़ी कठिनाइयों से पूर्ण सुधार में देरी हो सकती है।’

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