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Adulterated sweets are being sold indiscriminately on festivals, identify fake and genuine

त्यौहारों पर धड़ल्ले से बिक रहे हैं मिलावटी मिठाई, ऐसे करें नकली-असली की पहचान

जयपुर। जैसा कि आपको पता ही है कि देश भर में त्यौहारों का शंखनाद हो चुका है. ये पूरा महीना तो है ही दीपावली, भाई दूज और छठ जैसे पर्वों का, लोगों में इसे लेकर एक अलग तरह का उत्साह है. शायद यही कारण है कि इन दिनों मिठाइयों की बिक्री भी अचानक बढ़ गई है. लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिक्री बढ़ी है, बल्कि नकली मिठाइयों को बनाने का काम भी बढ़ा है.

मिठाई खरीदते समय कैसी सावधानी बरतने की जरूरत

हर साल की तरह इस साल भी आपके स्थानीय अखबार नकली मीठाइयों (Nakli mithai) की खबरों से भरे पड़ें होंगे. ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि मिठाइयों की खरीदारी किस तरह की जाए और किन-किन बातों का ख्याल रखा जाए. चलिए इस लेख के माध्यम से हम आपकी परेशानी दूर करते हुए बताते हैं कि मिठाई खरीदते समय कैसी सावधानी बरतने की जरूरत है, असली और कौन नकली की पहचान क्या है एवं मिलावट से कैसे बचा जा सकता है.

नकली मावा (Nakali Mawa)

त्यौहारों पर सबसे अधिक बिक्री मावे में होती है, तो सबसे अधिक मिलावट (Nakali mawa) भी इसी में होता है. इसलिए मावे की पहचान जरूरी है. मावे को थोड़ी सी चीनी डालकर गर्म करें, यदि वो पानी छोड़ने लगे तो समझ जाए की मावा मिलावटी (Mawa adulterated) है. इसके अलावा अगर आप चाहें तो मावे को हाथ पर रगड़ कर देख सकते हैं. असली मावा देशी घी की खुशबू देता है, जबकि नकली अजीब तरह की दुर्गन्ध पैदा करता है. ध्यान रहे कि नकली मावा (Nakali mawa) को असली दिखाने के लिए उसमें कुछ केमिकल्स का प्रयोग होता है, मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावा भी तैयार किया जाता है, जो आपकी सेहत के लिए बहुत खराब है.

असली दूध (Milk) की पहचान

बाजार की मीठाइयों की जगह अगर आप घर में खुद पकवान या मिठाई बनाने का सोच रहे हैं, तो ये फैसला अच्छा तो है कि लेकिन 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं. जी हां, आपके घर में बनने वाले मिठाई भी आपकी सेहत खराब करने के लिए पर्याप्त है. क्योंकि त्योहारों के मौसम में सिंथेटिक दूध यानी मिलावटी जहरीली दूध बाजार में आने लग जाते हैं, इसलिए आपको अधिक सचेत रहने की जरूरत है. सिंथेटिक दूध (Synthetic milk) को यूरिया, डिटर्जेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर आदि खतरनाक चीजों से तैयार किया जाता है. अब आप अंदाजा लगा ही सकते हैं कि अगर इतना विषाक्त आपके शरीर में गया तो सेहत का खराब होना लगभग तय ही है.

असली काजू की पहचान

इधर बदलते हुए जमाने के साथ कुछ सालों से त्यौहारों पर ड्राई फ्रूट्स (Dry Fruits) देने का चलन बढ़ा है, जिसमें सबसे अधिक मांग काजू की है. लेकिन जरा ठहरिये, इसमें भी मिलावट है. जी हां, काजू भी अब असली नकली आने लगे हैं. इसकी पहचान करने का सबसे आसान तरीका यही है कि आप इसके रंगों पर गौर करें. अगर काजू सफेद है, तो वो असली है, लेकिन अगर वो हल्का सा भी पीला है तो मान लीजिए नकली है.

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