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एक मुलाकात 92 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधायक पुष्पा शर्मा जी के साथ

जब भी अलवर की धरती पर नारी शक्ति का उदाहरण प्रस्तुत किया जाता है तो उस उदाहरण में हम स्वतंत्रता सेनानी और शहर की पहली महिला विधायक पुष्पा शर्मा जी का नाम लेना नहीं भूलते हैं क्योंकि उनका अलवर की धरती के लिए त्याग और समर्पण शायद ही अलवर वासी कभी भूल सकते हैं उनके जीवनकाल को बड़ी नजदीकी से देखें तो आप पाएंगे, उनका संपूर्ण जीवन महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों पर ही आधारित रहा |  ताउम्र उन्होंने खादी को ही पहना और खादी को ही जन जन तक पहुंचाने की दिशा में कार्य किए | उनका जीवन पूर्ण रूप से सादगी त्याग और मानव कल्याण में गुजरा, उन्होंने हमेशा स्वयं और परिवार से ज्यादा अपने वतन को अपना माना |

पुष्पा शर्मा का जन्म दिल्ली के एक बड़े संपन्न और प्रतिष्ठा परिवार में हुआ | उनके बड़े भाई आजादी के आंदोलन से जुड़े हुए थे | इसलिए पुष्पा शर्मा भी उनके साथ दिल्ली स्थित बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी के संदेशों को सुनने जाया करती, जहां से उन्होंने अपने जीवन में गांधी जी के विचारों को अपनाया, उनके परिवार के सभी सदस्य उस दौर में कॉन्ग्रेस से जुड़े रहे, और स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका निभाते रहे | बाद में कुछ वर्षों के बाद उनका पूरा परिवार अलवर मे बीरबल के मोहल्ले में आकर बस गया, जहां पुष्पा शर्मा जी का विवाह उस समय के कॉन्ग्रेस अलवर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी श्री मास्टर भोलानाथ शर्मा के 7:00 हो गया, अपनी शादी के पश्चात  उन्होंने हमेशा के लिए खादी को अपने जीवन में अपना लिया और आज भी 92 वर्ष की आयु में वह खादी से बने वस्त्रों को ही पहनती है और खादी को पहनने की ही बात करती है |

उन्होंने अपने जीवन में खादी को पहनने के अलावा खादी को जन जन तक पहुंचाने के लिए भी बहुत कार्य किए, वह सामाजिक सुधार और खादी के कार्यक्रमों में भी लगातार अपना योगदान देती रही, उस समय अलवर में चरके से सूत काटकर कपड़े बनाए जाते थे जिसके लिए राजगढ़ और थानागाजी प्रमुख केंद्र बने,, इस कुटीर उद्योग से महिलाओं को जहां आर्थिक लाभ मिला वहीं उन्हें सम्मान भी मिला करता, वही खादी भी केवल बनाने और बेचने तक सीमित नहीं था बल्कि उस दौर में खादी भंडार से जुड़े लोगों को भी खादी पहनना अनिवार्य था लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब पुष्पा शर्मा ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा अचानक से खो दिया उनके पति स्वतंत्रता सेनानी मास्टर भोलानाथ जी जिन्हें अलवर के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक महान नेता भी माना जाता है उन्हें पुष्पा जी ने खो दिया,, जिसके बाद पुष्पा शर्मा जी और उनका परिवार सक्रिय राजनीति से दूर हो गया, इस बीच अलवर में कांग्रेस पार्टी भी धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई और लगभग एक दशक तक कांग्रेस शहर में हार का सामना करती रही, आखिरकार अलवर के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को एक साफ-सुथरी छवि वाला परिवार याद आया,, जो था राजनीति के दिग्गज और साफ-सुथरी छवि रखने वाले मास्टर भोलेनाथ जी का,, अंत में सभी वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के द्वारा पुष्पा शर्मा जी का नाम सभी के सामने रखा गया जिसका परिणाम यह निकला की कई सालों के बाद 1985 में अलवर शहर में कांग्रेस पार्टी अलवर शहर से जीत सकी| और पुष्पा शर्मा अलवर शहर की पहली महिला विधायक चुनी गई वह 1990 तक अलवर शहर की विधायक रही जिसके बाद राजनीति में आए परिवर्तन और बढ़ते अर्थतंत्र को देखते हुए वह और उनके पूरे परिवार ने राजनीति से दूरियां बना ली, जिसके बाद वह केवल खादी को जन जन तक पहुंचाने के कार्य में जुटी रही वह लगभग 30 सालों तक खादी संघ की अध्यक्ष और सदस्य रही और गांधीजी की विचारधारा पर ही अपने जीवन को चलाती रही |

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