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फर्जी कंपनियों से शेयरों की हेरफेर करने वाले रैकेट पर सेबी का बड़ा एक्शन

SEBI News: एक कंपनी का शेयर एक साल से भी कम समय में 1 से 40 रुपये तक बढ़ गया और फिर वापस 2-3 रुपए पर आ गया, फर्जी कंपनियों से शेयरों की हेरफेर करने वाले रैकेट पर सेबी का बड़ा एक्शन

New delhi. हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने फर्जी कंपनियों पर नकेल कसने के लिए बड़ी कार्रवाई की है. सेबी ने बुधवार को अहमदाबाद, मुंबई और गुरुग्राम में छापेमारी कर 300 करोड़ रुपए के पंप और डंप रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पैसों के लिहाज से यह सेबी की अब तक की सबसे बड़ी छापेमारी है.
इस छापेमारी में 15-20 फर्जी कंपनियां शामिल थीं, जिन्हें कथित तौर पर कुछ लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटरों ने अपने शेयरों को बेचने के लिए बनाया था. रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम दो लिस्टेड एग्रो-टेक कंपनियां और उनके प्रमोटर कथित नेटवर्क के हेड हैं. इस दौरान सेबी ने कंपनी के डाक्यूमेंट्स और रबर स्टैम्प समेत कई डॉक्युमेंट्स जब्त किए हैं.
शुरुआती अनुमान से पता चलता है कि घोटाला कम से कम 300 करोड़ रुपए का है, लेकिन सेबी की तरफ से जब्त डॉक्युमेंट्स को एनालाइज करने के बाद और ज्यादा जानकारी सामने आने की उम्मीद है.

फर्जी कंपनियों के जरिए घोटाला

आम तौर पर, पंप और डंप स्कीम्स के मामलों में सेबी संस्थाओं के खिलाफ आदेश जारी करती है. ऐसे बहुत कम मामले होते हैं, जहां मार्केट रेग्युलेटर संस्थाओं के खिलाफ तलाशी और जब्त करने की पावर का इस्तेमाल करता है.
मौजूदा मामला ऐसा ही है. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों के प्रमोटरों ने फर्जी कंपनियां बनाईं, जो मालिकाना व्यापारियों के रूप में रजिस्टर्ड थीं और जिन्होंने कंपनी के शेयरों को खरीदा और बेचा. पहले भी ऐसे कई उदाहरण सामने आ चुके हैं, जहां सेबी ने स्मॉल और मिड-कैप कंपनियों के प्रमोटरों के खिलाफ उनके शेयरों में हेरफेर करने के लिए कार्रवाई की है.

क्या है पंप और डंप स्कीम?

 

पंप और डंप स्कीम्स में धोखेबाजों से संबंधित संस्थाएं सबसे पहले शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में शेयर खरीदना शुरू करती हैं. कीमत बढ़ने पर रिटेल इन्वेस्टर इन शेयरों की तरफ आकर्षित होते हैं. इस मौके का फायदा उठाते हुए हेरफेर करने वाली संस्थाएं भोले-भाले रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर बेच देती हैं और लाभ कमाकर बाहर निकल जाती हैं.

अजीब ट्रेडिंग पैटर्न

मनीकंट्रोल के मुताबिक, इनमें से एक कंपनी का शेयर एक साल से भी कम समय में 1 से 40 रुपये तक बढ़ गया और फिर वापस 2-3 रुपए पर आ गया. इस दौरान कंपनी के कारोबार और इनकम में भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. इसलिए यह सेनारियो साफ तौर पर एक धोखाधड़ी वाली योजना की ओर इशारा करता है.
इस बीच सेबी कुछ टेलीग्राम चैनलों की भी जांच कर रही है, जहां इन शेयरों का एडवर्टाइजमेंट नॉन-सेबी रजिस्टर्ड एनालिस्ट कर रहे थे. रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि रेग्युलेटर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या टेलीग्राम ग्रुप भी हेरफेर योजना का हिस्सा थे.

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