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इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में चीन से मुकाबले का भारत ने बनाया प्लान


नई दिल्ली। देश को इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट हब बनाने के लिए सरकार ने कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक हाई-लेवल पैनल बनाया है, जिसने कई ग्लोबल कंपनियों से संपर्क किया है और पूछा है कि भारत को प्रॉडक्शन बेस बनाने के लिए उन्हें क्या सहूलियतें चाहिए। इन कंपनियों में एपल, सैमसंग, सिस्को, सीमेंस, फॉक्सकॉन, इंटेल और बॉश शामिल हैं। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में चीन को कड़ी टक्कर देने के साथ ही अधिक विदेशी निवेश हासिल करने की सरकार की योजना का संकेत मिल रहा है। एक सूत्र ने ईटी को बताया, ‘पैनल ने हाल ही में अमेरिका, यूरोप, ताइवान और दक्षिण कोरिया की कंपनियों के साथ मीटिंग की थी। पैनल अब एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसमें इन कंपनियों को जल्द भारत लाने के लिए पॉलिसी में बदलाव के बारे में सुझाव दिए जाएंगे।’ इस मीटिंग में चीन की कंपनियां शामिल नहीं थीं। इस खबर के बारे में ईमेल से पूछे गए सवाल का इन कंपनियों से जवाब नहीं मिला।

जल्द PMO को अपनी रिपोर्ट देगा पैनल
एक अन्य सूत्र ने कहा कि पैनल अपनी रिपोर्ट जल्द PMO को सौंपने पर कार्य कर रहा है। उसका मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट का जोर स्मार्टफोन पर होना चाहिए। ईटी ने 4 जुलाई को रिपोर्ट दी थी कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर तनाव के मद्देनजर PMO ने नीति आयोग की अगुवाई में एक हाई-लेवल पैनल बनाया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी ग्लोबल कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए पॉलिसी बनाने में मदद करेगा।

इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का इम्पोर्ट बिल में बड़ा हिस्सा ऑइल के बाद स्मार्टफोन सहित इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स के इम्पोर्ट की देश के इम्पोर्ट बिल में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट के एक आकर्षक बेस के तौर पर खुद को प्रस्तुत करने का मौका देख रहा है। हालांकि, सरकार जानती है कि अगर भारत को वियतनाम जैसे देशों की तुलना में अधिक आकर्षक बनना है तो जल्द एक बेहतर एक्सपोर्ट पॉलिसी बनानी होगी। वियतनाम ने इंसेंटिव्स के जरिए दक्षिण कोरिया की सैमसंग जैसी कंपनियों को मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए आकर्षित किया है।

लोकल प्रॉडक्शन को वियतनाम से नुकसान
भारत में लोकल प्रॉडक्शन को भी वियतनाम से सस्ते इम्पोर्ट के कारण नुकसान हो रहा है। यह इम्पोर्ट आसियान देशों के साथ भारत के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के जरिए होता है। 2025 तक दुनिया में स्मार्टफोन का कुल मार्केट साइज 648 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है और इसमें लगभग 370 अरब डॉलर एक्सपोर्ट होगा। इस मार्केट की टॉप तीन ग्लोबल कंपनियां एपल, सैमसंग और हुआवे हैं।

चीनी कंपनियों को मीटिंग से रखा बाहर
एक दिलचस्प बात यह है कि भारत के आधे से अधिक स्मार्टफोन मार्केट पर कब्जा रखने वाली शाओमी, ओपो, विवो और हुआवे जैसी चीन की कंपनियों को पैनल ने मीटिंग में शामिल नहीं किया। सूत्र ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि भारत को चीन अपने एक्सपोर्ट के एक मार्केट के तौर पर लेगा और इसे एक्सपोर्ट के लिए हब नहीं बनाना चाहेगा।

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