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साइबर हमले की जद में भारतीय कंपनियां

नई दिल्ली. साल 2018 में 76 प्रतिशत भारतीय कारोबारी साइबर हमलों से प्रभावित हुए जो मैक्सिको और फ्रांस के बाद सर्वाधिक है। नेटवर्क और एंडप्वाइंट सिक्योरिटी क्षेत्र की बहुराष्ट्रीय कंपनी सोफोज ने अपने वैश्विक सर्वे में यह बात कही। 7 unconfortable truth of endpoint security नाम से जारी सर्वे में पाया गया कि भारत में अधिकांश साइबर हमले सर्वर (39 प्रतिशत) और नेटवर्क (35 प्रतिशत) के माध्यम से किए गए। इसी तरह 8 प्रतिशत हमले एंडप्वाइंट्स के जरिये किए गए हैं। भारत में मोबाइल पर 18 प्रतिशत से अधिक संभावित खतरे पाए गए जो वैश्विक आंकड़ों का करीब दोगुना है। इस अध्ययन में कुल 12 देशों की 3100 से अधिक आईटी कंपनियों और कारोबारियों ने हिस्सा लिया। इन देशों में अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, कोलंबो, ब्राजील, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे। सर्वे में कहा गया आईटी सुरक्षा दुनियाभर में एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। अध्ययन में शामिल 68 प्रतिशत कंपनियों पर पिछले वर्ष साइबर हमले हुए। भारत की 76.3 प्रतिशत कंपनियों पर साइबर हमले हुए। साइबर हमलों से प्रभावित संस्थाओं पर औसतन दो बार इस तरह के हमले हुए हैं। सोफोज (भारत एवं सार्क) के प्रबंध निदेशक (बिक्री) सुनील शर्मा कहते हैं आजकल सर्वर पर वित्तीय आंकड़े, कर्मचारियों का डेटा, स्वामित्व और दूसरी संवेदनशील जानकारियां जमा होती हैं जिसके चलते सर्वर की सुरक्षा बहुत संवेदनशील मामला बन गई है। आईटी प्रबंधकों को कारोबार के लिए संवेदनïशील सर्वर को साइबर हमलों से बचाने की जरूरत है। वे इस तंत्र में एंडप्वाइंट्स को नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि अधिकांस साइबर हमले यहीं से किए जाते हैं।                                        अभी भी आईटी प्रबंधक इस बात की पहचान नहीं कर पाते हैं कि किस तरह और कब संबंधित खतरा सिस्टम में प्रवेश कर जाता है। सर्वे में बताया गया कि पिछले साल एक या अधिक साइबर हमलों का शिकार हुए आईटी प्रबंधकों में से 14 प्रतिशत यह पता नहीं लगा पाए कि हमलावार ने इस तंत्र में प्रवेश कैसे किया। इसी तरह 17 प्रतिशत प्रबंधक यह बताने में असमर्थ थे कि खतरे का पता चलने से पहले वह कितने समय से सिस्टम में मौजूद था। इस विषय पर पारदर्शिता को बेहतर बनाने के लिए अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि आईटी प्रबंधकों को एंडप्वाइंट पर पहचान और प्रतिक्रिया (ईडीआर) संबंधी तकनीक पर काम करना चाहिए। यह तकनीक खतरे के शुरुआती बिंदु के साथ ही हमलावार की डिजिटल पहचान के बारे में बताती है। अध्ययन के मुताबिक एक या अधिक सुरक्षा खामियों की जांच करने वाली भारतीय कंपनियां ऐसे जांच पर एक साल में औसतन 48 दिन (एक माह में 4 दिन) खर्च करती हैं।

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