शनिवार , मई 04 2024 | 08:38:29 PM
Breaking News
Home / बाजार / लेखाकार कानून होगा सख्त!

लेखाकार कानून होगा सख्त!

नई दिल्ली| कंपनी मामलों का मंत्रालय लेखा फर्मों और उनके द्वारा ऑडिट की जा रही कंपनियों के बीच हितों का टकराव खत्म करने के लिए सनदी लेखाकार अधिनियम में संशोधन की योजना बना रहा है। साथ ही ऑडिट फर्में जिन नेटवर्क इकाइयों की अंग हैं, कानून में उन इकाइयों से जुड़े झोल दूर करने के उपाय भी सरकार खंगाल रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हमें सनदी लेखाकार अधिनियम को मजबूत करने की जरूरत है। जिम्मेदारी और पारदर्शिता लाने के लिए हमें कई इकाइयों को नियामकीय दायरे दायरे में लाने की जरूरत है।’

विशेषज्ञों का कहना है कि यह तय करना कठिन है कि वर्तमान कानून के तहत ऑडिटर स्वतंत्र हैं या नहीं क्योंकि नेटवर्क के अंग के रूप में लेखा फर्म विभिन्न न्यायाधिकार क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करती हैं। इस कारण ये फर्में एक ही ग्राहक को ऑडिट और गैर ऑडिट सेवाएं दे सकती हैं, जिससे हितों का टकराव पैदा हो सकता है और ऑडिट की निष्पक्षता पर संदेह हो सकता है। केपीएमजी, ईवाई, पीडब्ल्यूसी और डेलॉयट से जुड़ी सहायक ऑडिट फर्में सनदी लेखाकार अधिनियम के दायरे में आती हैं, लेकिन सरकार बड़ी नेटवर्क फर्मों और उनके द्वारा प्रदान की जा रही गैर ऑडिट सेवाओं के लिए नेटवर्क की जिम्मेदारी तय करने के लिए कानूनी रास्तों पर चर्चा कर रही है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि चारों बड़ी कंपनियों को इस कानून के दायरे में लाया जा सकता है। कई फर्म चुपचाप ऑडिट का कारोबार कर रही हैं और उनसे किसी ने सवाल तक नहीं पूछा है।

चंद्रा की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित सूची

अनुशासनात्मक प्रणालियां तैयार करते समय सरकार ऑडिटरों को गैर ऑडिट सेवाओं और उनके द्वारा वसूले जा रहे शुल्कों का खुलासा करने के लिए मजबूर करने के नियम बना सकती है। कंपनी अधिनियम, 2013 में ऐसी गैर ऑडिट सेवाओं की पूरी फेहरिस्त है, जिन पर प्रतिबंध है। यह सूची नरेश चंद्रा की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है। एक वरिष्ठ विश्लेषक ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘ऑडिटर का काम सतर्क रहना होता है और उन पर भरोसा किया जाता है। अगर वे कंपनियों की मिलीभगत से काम करते हैं तो वे शेयरधारकों का भरोसा तोड़ सकते हैं।’ यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में ऑडिट की निष्पक्षता बरकरार रखने के लिए ऑडिटरों को कराधान, पुनर्गठन एवं मूल्यांकन जैसी गैर-ऑडिट सेवाएं देने की इजाजत नहीं है। लेकिन वर्तमान नियमों के तहत भारत में ऑडिटर ऐसी सेवाएं दे सकते हैं।

Check Also

ऑनर ने एक्स सीरीज में ऑनर एक्स9बी लॉन्च किया

  जयपुर. ऑनर ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार करते हुए एक्स सीरीज में ऑनर एक्स9बी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *