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जून में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 6 फीसदी बढ़ा, तिलहन की कीमतों पर दबाव


नई दिल्ली। केंद्र सरकार खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने की बात करती है, जबकि इनका आयात लगातार बढ़ रहा है। खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात जून में 6 फीसदी बढ़ा है, जबकि चालू तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले आठ महीनों नवंबर-18 से जून-19 के दौरान इनके आयात में दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आयात ज्यादा होने से उत्पादक मंडियों में सरसों 3,800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने बताया कि विश्व बाजार में पिछले सालभर में पॉम तेल में 14 से 21 फीसदी की जबकि साफ्ट तेलों की कीमतों में 3 से 5 फीसदी की गिरावट आई है। इसीलिए पॉम तेल का आयात ज्यादा मात्रा में हुआ है। जून में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 11,05,293 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल जून में इनका आयात 10,42,003 टन का ही हुआ था। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 10,71,279 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जून में खाद्य तेलों का आयात 10,07,563 टन का हुआ था।

खाद्य एवं अखाद्य तेलों आयात हुआ ज्यादा
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2018-19 के पहले आठ महीनों नवंबर-18 से जून-19 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 98,68,971 टन का हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 96,46,538 टन का हुआ था। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 94,55,895 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में खाद्य तेलों का आयात 94,00,776 टन का हुआ था। अखाद्य तेलों का आयात चालू तेल वर्ष के पहले 8 महीनों में 4,13,076 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 2,45,762 टन का हुआ था।

जून में कीमतों में आई गिरावट
एसईए के अनुसार घरेलू बाजार में मई के मुकाबले जून में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट भी आई है। जून में आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर घटकर औसतन: 539 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि मई में इसका भाव 543 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव भी जून में घटकर 492 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि मई में इसका भाव 498 डॉलर प्रति टन था।

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