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सामाजिक समस्याएं हल करने वाले एआई और क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेसेज़ द्वारा 2030 तक भारत में ₹1.6 ट्रिलियन का व्यापार और 45.9 मिलियन नौकरियों का सृजन किए जाने की उम्मीद

स्मॉल बिज़नेस एआई और क्लाउड एडॉप्शन में तेजी लाने और भारत को आर्थिक व सामाजिक लाभ दिलाने के लिए सरकार और उद्योग के बीच सहयोग ज़रूरी है

नई दिल्ली।— अमेज़न.कॉम कंपनी, अमेज़न वेब सर्विस (एडब्लूएस) ने आज एक नई रिपोर्ट जारी की, जिसमें खुलासा हुआ है कि भारत में क्लाउड-इनेबल्ड टेक्नोलॉजीज अपनाने वाले स्मॉल बिज़नेसेज़ द्वारा 2030 तक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि क्षेत्रों में ₹1.6 ट्रिलियन तक का वार्षिक उत्पादकता लाभ प्राप्त किए जाने और 45.9 मिलियन नौकरियों का सृजन किए जाने की उम्मीद है, जो भारत में 9% नौकरियों के बराबर होगा।

 

एडब्लूएस ने सामाजिक समस्याओं को हल करने वाले स्मॉल बिज़नेसेज़ (250 से कम कर्मचारियों वाले बिज़नेस) के लिए क्लाउड पर जाने के संभावित लाभों का परीक्षण करने के लिए “क्लाउड-इनेबल्ड इकोनॉमी: हाउ क्लाउड ड्राइव्स इकोनॉमिक एंड सोसायटल इंपैक्ट थ्रू स्मॉल बिज़नेसेज़” नामक रिपोर्ट को कमीशन किया। ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विसेज़ फर्म, एक्सेंचर तैयार इस रिपोर्ट में 2030 में क्लाउड-इनेबल्ड इकोनॉमी1 का पूर्वानुमान लगाने के लिए क्लाउड एडॉप्शन लेवल की ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) परिभाषा का उपयोग किया गया है, जिसमें 90% व्यवसाय कम से कम एक बुनियादी स्तर की क्लाउड टेक्नोलॉजी अपनाते हैं।

 

इस रिपोर्ट में सामने आया कि भारत में सभी व्यवसायों के लिए कम से कम बुनियादी क्लाउड, जैसे कि वेब-आधारित ईमेल सेवाओं या क्लाउड-आधारित स्टोरेज समाधान का उपयोग करने की मौजूदा दर 28% है। हालाँकि यह रिपोर्ट इंटरमीडिएट एप्लिकेशंस जैसे कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट या एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग टूल्स के उपयोग और जटिल टास्क जैसे फ्रॉड डिटेक्शन या सप्लाई चैन फ़ोरकास्टिंग के लिए जेनरेटिव एआई और मशीन लर्निंग सहित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उन्नत एप्लिकेशंस के उपयोग द्वारा उत्पन्न होने वाले अवसरों पर प्रकाश डालती है।

 

क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेसेज़ का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

 

इस रिपोर्ट में सामने आया कि क्लाउड पर मूव करके छोटे व्यवसाय अर्थव्यवस्था और समाज को ठोस लाभ पहुंचा सकते हैं। क्लाउड पर मूव करने से रिमोट चिकित्सा परामर्श संभव हो सकता है, शिक्षा की उपलब्धता में सुधार हो सकता है, कृषि क्षमता में वृद्धि हो सकती है एवं अन्य लाभ मिल सकते हैं, जिनसे संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (यूएन एसडीजी) प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

 

कृषि क्षेत्र में, क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेस एआई जैसी क्लाउड टेक्नोलॉजी द्वारा डेटा-आधारित विधियों का क्रियान्वयन कर भोजन की कमी की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में स्मॉल बिज़नेस 2030 तक कृषि क्षेत्र में ₹1.1 ट्रिलियन का वार्षिक उत्पादकता लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं, और नौ में से एक खेत में प्रेसीज़न कृषि समाधानों का उपयोग किया जाएगा, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होगी, जो मौजूदा उपयोग दर की तुलना में 300% ज़्यादा होगी।

 

हेल्थकेयर के क्षेत्र में, क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेसेज़ वंचित समुदायों को स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता को दूर करने में मदद करते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेस 2030 तक भारत में हेल्थकेयर में ₹199.5 बिलियन का वार्षिक उत्पादकता लाभ प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं, और 47 मिलियन टेलीहेल्थ परामर्श में सहयोग दे सकते हैं।

 

शिक्षा क्षेत्र में, क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म द्वारा शिक्षा की पहुंच व समावेशन की समस्या को हल करने में मदद करते हैं। इस रिपोर्ट की मानें तो स्मॉल बिज़नेसेज़ 2030 तक शिक्षा क्षेत्र में ₹291.6 बिलियन का वार्षिक उत्पादकता लाभ पाने में मदद कर सकते हैं और भारत में 99 मिलियन छात्रों को ई-लर्निंग समाधान प्रदान कर सकते हैं, जो वर्तमान उपयोग दर से 165% अधिक है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि क्लाउड-इनेबल्ड स्मॉल बिज़नेसेज़ की मदद से 248 मिलियन वयस्कों द्वारा शैक्षणिक संसाधनों का उपयोग किए जाने की उम्मीद है।

 

क्लाउड की क्षमता के उपयोग के लिए निकट सहयोग

 

साइबर सुरक्षा चुनौतियां, संगठनात्मक संस्कृति, इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) इन्फ्रास्ट्रक्चर (सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर) एवं डिजिटल कौशल की कम उपलब्धता स्मॉल बिज़नेसेज़ द्वारा क्लाउड अपनाए जाने की मुख्य बाधाएं हैं। स्मॉल बिज़नेसेज़ द्वारा क्लाउड अपनाने में तेजी लाने में मदद करने के लिए, इस रिपोर्ट में पाँच मुख्य सिफ़ारिशें की गई हैं: 1) पहचानें कि क्लाउड स्ट्रेटेजिक व्यवसायिक ज़रूरतों को कैसे स्ट्रीमलाइन कर सकता है, 2) उद्योग और सरकारी सहयोग का आकलन करें, 3) क्लाउड में कर्मचारियों को कौशल बढ़ाएं और शिक्षित करें, 4) डेटा और सुरक्षा नीतियों की समीक्षा करें, और 5) होल-ऑफ़-बिज़नेस क्लाउड माइग्रेशन स्ट्रेटेजी बनाएं।

 

आरोन हिल, मैनेजिंग डायरेक्टर, इकोनॉमिक इनसाइट्स, एक्सेंचर स्ट्रेटेजी एंड कंसल्टिंग ने कहा, “यद्यपि कम से कम एक बुनियादी स्तर की क्लाउड टेक्नोलॉजी अपनाने वाले स्मॉल बिज़नेसों को बड़े लाभ मिलने की संभावना है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें अपने क्लाउड एडॉप्शन को आगे बढ़ाने का बड़ा अवसर है क्योंकि इससे समाज की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों को हल करने की उनकी क्षमता का विस्तार होगा। उन्होंने कहा, “सरकारों और उद्योग से बड़े सहयोग के साथ, इन व्यवसायों को और ज़्यादा इनोवेशन लाने, आर्थिक उत्पादकता बढ़ाने और समाज में सार्थक परिवर्तन लाने के लिए जेनरेटिव एआई जैसी परिवर्तनकारी टेक्नोलॉजीज की शक्ति का उपयोग करने की ज़्यादा क्षमता मिलेगी।”

 

दीप्ति दत्त, लीडर – वर्टिकल्स, पब्लिक सेक्टर, एडब्ल्यूएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने कहा, “भारत में स्मॉल बिज़नेस देश में इनोवेशन, आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन लाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। वो जमीनी स्तर की चुनौतियों को हल करने, जैसे डिजिटल हेल्थकेयर, कृषि, और शिक्षा सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” उन्होंने कहा, “क्लाउड स्मॉल बिज़नेसेज़ को बड़े वैश्विक उद्यमों के समान ही स्केलेबल और सुरक्षित टेक्नोलॉजीज प्राप्त करने में समर्थ बनाता है, और उन्हें तेज़ी से एवं किफ़ायती तरीक़े से व्यवसायिक समस्याओं को हल करने पर केंद्रित होने में मदद करता है। जेनरेटिव एआई जैसी आधुनिक क्लाउड-इनेबल्ड टेक्नोलॉजीज अपनाकर, स्मॉल बिज़नेस अपनी वृद्धि और डिजिटल परिवर्तन में तेज़ी ला सकते हैं। एडब्लूएस सभी को बेहतर भविष्य देने के लिए भारत में स्मॉल बिज़नेसेज़ को आर्थिक और सामाजिक लाभ प्राप्त करने में मदद करने के लिए सरकारों, एजुकेटर्स और उद्योग के साथ काम कर रहा है।”

 

बढ़ाने के एडब्लूएस स्मॉल बिज़नेसेज़ को जेनरेटिव AI जैसी क्लाउड तकनीकों का उपयोग करके डिजिटल अर्थव्यवस्था में अवसरों का लाभ उठाने और अपने व्यवसाय मॉडल को बदलने में मदद करता है। एडब्लूएस डिजिटलीकरण के विभिन्न चरणों में स्मॉल बिज़नेसेज़ की भिन्न-भिन्न ज़रूरतों के अनुरूप कार्यक्रम पेश करता है। पिछले 10 वर्षों में, वैश्विक स्तर के अर्ली-स्टेज स्टार्टअप्स ने अपने व्यवसाय को लिए एडब्लूएस एक्टिवेट प्रोग्राम का उपयोग किया है। 2019 के बाद से, इस प्रोग्राम ने स्टार्टअप्स को लागत प्रबंधन, तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त करने और प्रशिक्षण व व्यवसायिक परामर्श पाने में मदद करने के लिए एडब्लूएस क्रेडिट में $ 2 बिलियन से अधिक सहयोग दिया है। अपनी क्लाउड यात्रा शुरू करने के इच्छुक स्मॉल बिज़नेसेज़ के लिए एडब्लूएस लिफ्ट प्रोग्राम स्मॉल बिज़नेसेज़ को 12 महीनों में 83,500 अमेरिकी डॉलर तक के क्लाउड क्रेडिट का स्टार्टर पैक, संसाधन और एडब्लूएस पार्टनर्स का सहयोग प्रदान करता है, और उन्हें क्लाउड में डिजिटलीकरण शुरू करने में मदद करता है। प्रमुख क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने के लिए एडब्लूएस एक्सलेरेटर प्रोग्राम में हेल्थ इक्विटी और वर्कफोर्स डेवलपमेंट के लिए एडब्लूएस हेल्थकेयर एक्सलेरेटर शामिल हैं, जो एडब्लूएस हेल्थ इक्विटी अभियान मज़बूत करता है; और जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एडब्लूएस एमएल एलिवेट प्रोग्राम शामिल हैं। स्मॉल बिज़नेसेज़ को एडब्लूएस पार्टनर नेटवर्क (एपीएन) में 100,000 से अधिक एडब्लूएस पार्टनर्स का सहयोग भी मिलेगा, जो उन्हें टूल्स, संसाधन ढूंढने और अपने व्यवसाय व ग्राहकों के लिए सही समाधान का निर्माण करने में मदद करेंगे। इसके अलावा, स्मॉल बिज़नेसेज़ एडब्ल्यूएस मार्केटप्लेस का उपयोग कर सकते हैं, जिसके द्वारा वो जो उपयोग करेंगे, केवल उसके लिए भुगतान करके एक क्यूरेटेड डिजिटल कैटलॉग की मदद से पहले से कॉन्फ़िगर किए गए सॉफ़्टवेयर समाधान ढूंढ सकते हैं और क्रियान्वित कर सकते हैं।

 

अरीटे डेयरी किसानों को दूध की कम पैदावार, प्रजनन चक्र पूरा ना होने और पशु प्रबंधन पर उच्च चिकित्सा खर्च जैसी समस्याओं को हल करने में मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी का विकास करने पर केंद्रित है। एडब्लूएस आईओटी और डेटाबेस तकनीकों का उपयोग करके अरीटे ने ‘आयुष्मान काउफिट’ नामक एक सर्वर रहित क्लाउड-नेटिव समाधान का विकास किया है, जो किसानों को उनके मवेशियों के स्वास्थ्य के बारे में नियमित तौर से अलग-अलग भाषाओं में अलर्ट व सूचनाएं प्रदान करता है, जिससे उच्च गुणवत्ता की डेयरी पैदावार सुनिश्चित होती है।

 

अरीटे बिजनेस सॉल्यूशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर, श्रीनिवास सुब्रमण्यन ने कहा, “एरीटे हमारे पशु स्वास्थ्य प्रबंधन और हीट डिटेक्शन आईओटी समाधान द्वारा भारतीय किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है।“ उन्होंने कहा, “नई एडब्लूएस टेक्नोलॉजीज और एडब्लूएस एक्टिवेट जैसे प्रोग्राम्स की मदद से हमने ‘आयुष्मान काउफिट’ नामक सर्वर रहित क्लाउड-नेटिव समाधान का विकास करने के लिए एडब्ल्यूएस की स्केलेबिलिटी, लचीलेपन, सुरक्षा और मजबूत फ़ीचर्स का उपयोग किया। यह किसानों को मवेशियों के स्वास्थ्य का नियमित अपडेट प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने पशुओं के बारे में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है और डेयरी पैदावार में 10% से अधिक सुधार होता है। हमने विभिन्न दुग्ध सहकारी समितियों, बड़ी डेयरियों और बीएआईएफ डेवलपमेंट रिसर्च फाउंडेशन, पुणे और कृषि विकास संस्थान बारामती जैसे अन्य संस्थानों में अपने सॉल्यूशंस का क्रियान्वयन किया है। अरीटे में, हम डेयरी प्रबंधन की सटीक विधियों के विकास के लिए जेनरेटिव एआई समाधान भी तलाश रहे हैं, जो डेयरी किसानों को मार्गदर्शन व जानकारी प्रदान कर सके, और उन्हें पैदावार में सुधार करने, मवेशियों के स्वास्थ्य का बेहतर प्रबंधन करने और लाभप्रदता बढ़ाने में समर्थ बनाये।”

 

एक एडटेक गैर-लाभकारी संस्था, रॉकेट लर्निंग भारत में वंचित बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शुरुआती शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वो एडब्लूएस एआई और एमएल टेक्नोलॉजीज द्वारा यह कर पाते हैं, और वर्तमान में नौ भारतीय राज्यों में 1.75 मिलियन से अधिक बच्चों को सेवाएं दे रहे हैं।

 

विशाल सुनील, सह-संस्थापक व सीटीओ, रॉकेट लर्निंग ने कहा, “एडब्लूएस की मदद से हम अपने समाधान का विकास भारत के ग्रामीण समुदायों में कर पाये, जिससे कम आय वाले बच्चों को महत्वपूर्ण पूर्व-साक्षरता और पूर्व-संख्यात्मक कौशल का विकास करने में मदद मिली। हम 1.39 मिलियन आंगनवाड़ी केंद्रों को जीवंत शिक्षण केंद्रों में बदलने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ भी सहयोग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “एडब्ल्यूएस एआई और एमएल सेवाओं की मदद से हम समुदायों से अपनी संलग्नता बढ़ाने में सक्षम हुए। हम अपने प्रभाव के विस्तार के लिये ऑटोमेशन का उपयोग करते हुए केयरगिवर्स को रियल टाइम में व्यवहार संबंधी संकेत और व्यक्तिगत रिपोर्ट प्रदान करते हैं। इस दृष्टिकोण से हमें किफ़ायती तरीक़े से प्रबंधन करने और अपने प्रोग्राम्स की स्थिरता व सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलती है। हम 30 मिलियन बच्चों को उच्च गुणवत्ता की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने और अगले पांच वर्षों में स्कूल के लिए अच्छी तरह से तैयार करने में समर्थ बनाना चाहते हैं।”

 

“रियलाइजिंग ए क्लाउड-इनेबल्ड इकोनॉमी: हाउ क्लाउड ड्राइव्स इकोनॉमिक एंड सोसायटल इंपैक्ट थ्रू स्मॉल बिज़नेसेज़” रिपोर्ट में भारत सहित 12 देश शामिल हैं, और इसमें बाजार के आकार, मात्रात्मक सर्वेक्षणों की प्रतिक्रियाओं और ओईसीडी, वर्ल्ड बैंक, द कांफ्रेंस बोर्ड टोटल इकोनॉमी डेटाबेस से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट का उपयोग किया गया है।

अधिक जानकारी के लिए, “क्लाउड-इनेबल्ड इकोनॉमी: हाउ क्लाउड ड्राइव्स इकोनॉमिक एंड सोसायटल इंपैक्ट थ्रू स्मॉल बिज़नेसेज़” रिपोर्ट डाउनलोड करें।

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