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उद्योगों को फिर राहत देने पर सरकार का विचार

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी (covid-19 Epidemic) की दूसरी और ज्यादा घातक लहर से जूझ रहे देश के कारोबारी जगत को राहत देने के उपायों पर विचार हो रहा है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि लघु उद्योग और दूसरे उद्योगों ने राहत (Small scale industry relief) मुहैया कराने की मांग की है, जिस पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) विचार कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, ‘कई क्षेत्रों पर दबाव बढ़ रहा है और आतिथ्य यानी होटल-रेस्तरां जैसे क्षेत्रों पर बहुत गहरी चोट पड़ी है। हमें इसका अंदाजा है और हमने सभी विकल्प खुले रखे हैं।’

एमएसएमई खातों के पुनर्गठन को मंजूरी

अधिकारी ने बताया कि सरकार और रिजर्व बैंक  (Reserve bank of India) मौजूदा संकट से निपटने के उपाय खंगाल रहे हैं और यह भी देख रहे हैं कि आपात ऋण गारंटी योजना (Emergency credit guarantee scheme) (ईसीएलजीएस) को ही आगे बढ़ाने या उसे नए रूप में लाने अथवा एमएसएमई खातों (MSME Accounts) के पुनर्गठन को मंजूरी देने जैसे कदम उठाने की जरूरत है या नहीं। वे यह भी देख रहे हैं कि कुछ और कदम भी उठाने की आवश्यकता है या नहीं। अधिकारी ने कहा कि सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है मगर उद्योग से दबाव के बावजूद फौरन राहत उपाय करना मुमकिन नहीं है।

पिछले साल लघु उद्योगों के लिए थी गिरवी मुक्त ऋण गारंटी योजना

पिछले साल सरकार ने लघु उद्योगों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की गिरवी मुक्त ऋण गारंटी योजना शुरू की थी और बाद में इसमें अन्य क्षेत्रों और श्रेणियों को भी शामिल किया गया था। इस योजना का लाभ 30 जून तक लिया जा सकता है। रिजर्व बैंक ने भी पिछले अगस्त में एमएसएमई के लिए ऋण पुनर्गठन योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत कर्ज देने वाली संस्था कर्जदार से रकम वसूली की अवधि दो साल बढ़ा सकती थी।

ज्यादातर प्रमुख संकेतक गिर ही रहे

यह योजना इस साल मार्च तक चालू थी। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘पिछले तीन सप्ताह में कारोबार में जबरदस्त रुकावट आई है और कारोबारियों को मदद की जरूरत है, जिसे सरकार भी समझती है।’ अधिकारी ने कहा कि मार्च के महीने में वस्तु एवं सेवा कर (goods and services Tax) (जीएसटी) (GST) का रिकॉर्ड संग्रह रहा। लेकिन खपत में गिरावट नजर आ रही है और ज्यादातर प्रमुख संकेतक गिर ही रहे हैं।

अप्रैल में वाहनों के थोक उठान में मार्च के मुकाबले गिरावट

अप्रैल में वाहनों के थोक उठान में मार्च के मुकाबले गिरावट आई है। गूगल मोबिलिटी इंडेक्स (Google mobility index) बताता है कि आवागमन कोविड से पहले के स्तर पर नहीं पहुंचा है। उदाहरण के लिए पूर्ण लॉकडाउन लागू करने वाले दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सुपरमार्केट और दवा की दुकानों तक पहुंचने के अलावा बाजार में सामान्य आवाजाही 28 अप्रैल को 50 फीसदी से भी ज्यादा गिर चुकी थी।

 वाहन पंजीकरण और जीएसटी ई-वे बिल सृजन गिरावट

अप्रैल में बिजली की मांग, वाहन पंजीकरण और जीएसटी ई-वे बिल सृजन में पिछले महीने के मुकाबले गिरावट आ रही है, जिससे पता चलता है कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों और स्थानीय प्रतिबंधों का कितना अधिक असर है। सरकार ने हाल में कुछ उपायों की घोषणा की है। इनमें कर अनुपालन की समयसीमा में बढ़ोतरी, पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए राज्यों को 50 साल का कर मुक्त ऋण देना आदि शामिल हैं। सरकार ने जीएसटी के भुगतान में भी कुछ ढील दी हैं।

वाहन कंपनियां रोकेंगी उत्पादन

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