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दलहन की बुआई 20 फीसदी कम हुई

मुंबई| मॉनसून देर से सक्रिय होने और देश में करीब 55 फीसदी हिस्से में सामान्य से कम बारिश होने का दलहन फसलों की बुआई पर बुरा असर पड़ा है। जुलाई खत्म होने को है, लेकिन दलहन फसलों की बुआई सामान्य नहीं हो सकी है। बुआई करीब 20 फीसदी कम हुई है। इस कारण देश की आयात निर्भरता बढऩे की आशंका तेज हो गई है। दलहन उत्पादक क्षेत्रों में देर से शुरू हुई बारिश के कारण चालू खरीफ सीजन में फसल चार साल में सबसे कम रही है। कृषि मंत्रालय के खरीफ फसल के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 26 जुलाई तक 82.92 लाख हेक्टेयर में दलहन फसल की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल 26 जुलाई तक 101.843 लाख हेक्टेयर, 2017 में 113.238 लाख हेक्टेयर, 2016 में 104.811 लाख हेक्टेयर, 2015 में 75.746 लाख हेक्टेयर और 2014 में 65 लाख हेक्टेयर में दलहन फसल की बुआई हुई थी। दलहन फसल को प्रोत्साहित करने की सरकारी नीतियों के कारण देश में दलहन फसलों का रकबा और उत्पादन पिछले कुछ सालों में बढ़ा था, लेकिन इस बार बुआई उम्मीद से भी कम है।

खरीफ सीजन की सभी दलहन फसलों पर मॉनसून की देरी का असर पड़ा है। चालू खरीफ सीजन के दौरान 26 जुलाई तक 29.58 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 34.57 हेक्टेयर में अरहर की बुआई हुई थी। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस समय तक औसतन 32.69 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हो जानी चाहिए थी। खरीफ सीजन में दलहन का कुल रकबा 43 लाख हेक्टेयर अनुमानित है। अरहर की तरह दूसरी दलहन फसलों की बुआई भी पीछे चल रही है। अब तक उड़द की बुआई 26.15 लाख हेक्टेयर और मूंग की बुआई 20.48 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक उड़द की बुआई 28.97 लाख हेक्टेयर और मूंग की बुआई 27.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
पूरे देश में दलहन की बुआई पिछड़ी हुई है। प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य राजस्थान में 20.555 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई, जबकि पिछले साल यहां अब तक 27.922 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई थी। महाराष्ट्र में इस साल अब तक 15.866 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक यहां 17.439 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। चालू खरीफ सीजन के दौरान मध्य प्रदेश में 16.840 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 9.657 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 7.276 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमश: 20.099 लाख हेक्टेयर, 14.382 लाख हेक्टेयर और 6.611 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई थी। उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में दलहन फसलों की बुआई पिछले साल की अपेक्षा कम हुई है।

दलहन कारोबारियों का कहना है कि जुलाई महीना खत्म होने को है। ऐसे में दलहन की बुआई पिछले साल से कम ही रहने वाली है जिसका असर उत्पादन पर पड़ेगा और आयात निर्भरता बढ़ेगी। उत्पादन कम होने की बढ़ती आशंका की वजह से सरकार दालों का आयात कोटा भी बढ़ा सकती है। फिलहाल सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए उड़द और मूंग का आयात कोटा डेढ़-डेढ़ लाख टन, अरहर का कोटा चार लाख टन और मटर का आयात कोटा दो लाख टन तय किया हुआ है। देश में दलहन का स्टॉक होने के कारण आयात में कमी आयी थी। वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों में अप्रैल से फरवरी के दौरान दालों का आयात घटकर 21.03 लाख टन रहा जो वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 56.07 लाख टन था। वित्त वर्ष 2016-17 में देश रिकॉर्ड 66.09 लाख टन दाल आयात किया गया था।

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