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कैशबैक मिलने पर भी चुकाना होगा कर

जयपुर। नकदी छोड़कर इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से भुगतान करने वाले ग्राहकों की आजकल मौज है क्योंकि उन्हें कई तरह के फायदे मिलते हैं। ऐसे ग्राहकों को लुभाने के लिए कमोबेश सभी भुगतान ऐप और वॉलेट कैश बैक या कैश (नकद) रिवार्ड देते हैं। उनमें से कुछ ऐप या वॉलेट ऐसे भी हैं, जिन पर एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये लेनदेन किया जाए तो नकद रिवार्ड सीधे आपके बैंक खाते में भेज दिया जाता है। कभी-कभी ई-कॉमर्स वेबसाइट भी क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक के साथ मिलकर कुछ खास तरह की पेशकश या ऑफर देती हैं। इन ऑफर के तहत खरीदारी करने के कुछ महीने बाद कैशबैक आपके खाते में भेज दिया जाता है।

ऐसे रिवार्ड या फायदे आपको भी मिले होंगे और बहुत अच्छे भी लगे होंगे। लेकिन अगर आपको बहुत अधिक रिवार्ड मिल रहे हैं तो आप कर के फेर में भी फंस सकते हैं। आयकर नियमों के मुताबिक व्यक्तिगत करदाताओं से नकद रिवार्ड पर उपहार कर वसूला जा सकता है। टैक्समैन डॉट कॉम में चार्टर्ड अकाउंटेंट नवीन वाधवा कहते हैं, ‘आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) के प्रावधानों में बिना विचारे प्राप्त किए हुए धन की बात की गई है और उसे उपहार कर की श्रेणी में रखा गया है। यदि किसी वित्त वर्ष में मिले सभी उपहारों की कुल कीमत 50,000 रुपये से अधिक हो जाती है तो उन्हें प्राप्त करने वाले व्यक्ति को कर चुकाना पड़ेगा।’ वह बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति कारोबार के सिलसिले में खरीद करता है और उस पर उसे कैशबैक हासिल होता है तो कर अलग तरीके से लगाया जाएगा।

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