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Umbilical Cord Blood Preservation Services from LifeCell Select

लाईफसैल सलेक्ट की अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड प्रीज़रवेशन सेवाएं

जोधपुर। भारत के छोटे शहरों (दूसरे एवं तीसरे स्तर के शहरों) में स्टैम सैल बैंकिंग को सुलभ एवं किफ़ायती बनाने के प्रयास में लाईफसैल इंटरनेशनल (Lifecell International) ने जोधपुर में अपनी लाईफसैल सलेक्ट योजनाओं के विस्तार की घोषणा की है। लाईफसैल सलेक्ट स्टैम सैल बैंकिंग योजनाओं के लिए किफ़ायती एवं सुविधाजनक सेवाएं प्रदान करता है। इन योजनाओं के साथ माता-पिता अपने नवजात शिशु के कीमती अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड (रक्त) को सुरक्षित रख सकते हैं, इस रक्त में ऐसी स्टैम सैल्स होती हैं, जिनका इस्तेमाल 90 से अधिक बीमारियों जैसे रक्त विकार, मैटाबोलिक विकार एवं रक्त कैंसर आदि के इलाज के लिए किया जा सकता है।

निकटतम एचएलए मैच ढूंढने में आसानी

अम्बिलिकल कोर्ड स्टैम सैल्स को सुरक्षित रखने के कई फायदे होते हैं जैसे इससे निकटतम एचएलए मैच ढूंढने में आसानी होती है, ट्रांसप्लान्ट के सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है, एनग्राफ्टमेन्ट को बेहतर बनाया जा सकता है और ग्राफ्ट-वर्सेस- होस्ट डी़ज़ीज़ (जीवीएचडी) की संभावना को कम किया जा सकता है। एचएलए मैच ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एचएलए एंटीजन के डोनर एवं रिसीवर को मैच किया जाता है, ताकि शरीर के द्वारा इसे अस्वीकार (रिजेक्ट) करने की संभावना कम हो जाए। वर्तमान में भारत में हर साल 50,000 स्टैम सैल ट्रांसप्लान्ट्स की ज़रूरत पड़ती है, हांलांकि वास्तव में 2000 से भी कम ऐसे ट्रांसप्लान्ट किए जाते हैं। इसके अलावा महानगरों के दायरे से बाहर जाकर देखें तो पैसे की कमी के चलते ट्रांसप्लान्ट के लिए स्टैम सैल युनिट्स की सुलभता कम हो जाती है।

मैच ढूंढना 10 गुना आसान

लाईफसैल अपनी स्टैम सैल बैंकिंग सेवाओं के साथ इन खामियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है, यह अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षित एवं दीर्घकालिक समाधान उपलब्ध कराता है। इसकी मदद से माता-पिता कीमती रिसोर्स को सुरक्षित रख कर अपने बच्चे के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित कर सकते हैं। इससे परिवार के नज़दीकी सदस्यां में एलोजेनिक ट्रांसप्लान्ट के लिए सफल डोनर मैच की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके अलावा कोर्ड से रक्त को संग्रहित करना (ब्लड कलेक्शन) आसान एवं सुरक्षित होता है। व्यस्क से बोन मैरो लेने के बजाए यह प्रक्रिया बहुत अधिक सरल होती है। बोन मैरो कलेक्शन में सफल मैच के लिए 9-10 मानकों को मैच करना होता है, जबकि अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड के मामले में सिर्फ 6-8 मानकों को ही मैच करना होता है, इस तरह मैच ढूंढना 10 गुना आसान हो जाता है।

अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड एक कीमती रिसोर्स

मयूर अभाया, मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ, लाईफसैल इंटरनेशनल ने कहा, ‘‘अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड एक कीमती रिसोर्स है, जिसका उपयोग न सिर्फ बच्चे बल्कि उसके परिवार के नज़दीकी सदस्यों में भी कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जा सकता है। हालांकि देश के ज़्यादातर हिस्सों में स्टैम सैल बैंकिंग के सुरक्षित एवं भरोसेमंद विकल्प नहीं हैं, खासतौर पर महानगरों के दायरे से बाहर छोटे शहरों में इन सुविधाओं की कमी है। ऐसे में परिवारजनों के लिए इस कीमती रिसोर्स को सुरक्षित रखना मुश्किल हो जाता है। हम देश भर के परिवारों को विश्वस्तरीय स्टैम सैल बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना चाहते हैं, और इस क्षेत्र में पैसे की कमी के कारण आने वाली मुश्किलों को भी हल करना चाहते हैं।’’

लाईफ सैल सलेक्ट हर ट्रांसप्लान्ट के लिए रु 20 लाख तक की आर्थिक सहायता देता

लाईफसैल सलेक्ट अपनी किफ़ायती कोर्ड ब्लड प्रीज़रवेशन योजनाओं के साथ परिवारों को विभिन्न आनुवंशिक बीमारियों एवं विकारों से बेजोड़ सुरक्षा देता है। लाईफसैल सलेक्ट द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले कवरेज में नवजात शिशु, उसके भाई-बहन और दादा-दादी शामिल होते हैं। इसकी मदद से उन सभी बीमारियों का इलाज संभव है जिनका उपचार व्यक्तिगत एवं डोनर स्टैम सैल से किया जा सकता है। साथ ही, लाईफ सैल सलेक्ट हर ट्रांसप्लान्ट के लिए रु 20 लाख तक की आर्थिक सहायता देता है और परिवारों की मदद के लिए नो-कोस्ट ईएमआई प्लान भी उपलब्ध कराता है।

सभी निर्देशों का सख्ती से पालन

लाईफसैल आईसीएमआर (इंडियन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रीसर्च) द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का सख्ती से पालन करता है ताकि स्टैम सैल्स के कलेक्शन, प्रोसेसिंग एवं स्टोरेज में सुरक्षित एवं नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित किया जा सके। लाईफसैल एएबीबी (एसोसिएशन फॉर द अडवान्समेन्ट ऑफ ब्लड एण्ड बायोथेरेपीज़) द्वारा मान्यता प्राप्त 4 भारतीय अम्बिलिकल कोर्ड ब्लड बैंकों में से एक है तथा 12 ऐसे बैंकों में से एक है जिन्हें डीसीजीआई (ड्रग कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) द्वारा मान्यता प्राप्त है। लाईफसैल को कई भारतीय एवं विश्वस्तरीय एजेन्सियों से मान्यता प्राप्त है जो उद्योग जगत के मानकों पर निगरानी रखते हैं। इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), युनाईटेड स्टेट्स फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए), नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एण्ड कैलिबरेशन लैबोरेटरीज़ (एनएबीएल इंडिया), कॉलेज ऑफ अमेरिकन पैथोलोजिस्ट्स (सीएपी) एवं इंटरनेशनल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर स्टैण्डरडाइज़ेशन (आईएसओ) शामिल हैं।

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