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दाती महाराज कौन है? पाली में जानते है मदन राजस्थानी के नाम से

 

चाय बेचने से लेकर स्वयंभू बाबा तक, जानें दाती महाराज का सफर

तुम बाबा की हो और बाबा तुम्हारे. तुम कोई नया काम नहीं कर रही हो. सब करते आए हैं. कल हमारी बारी थी. आज तुम्हारी बारी है. कल ना जाने किसकी होगी. बाबा समन्दर हैं हम सब उसकी मछलियां हैं. इसे कर्ज़ समझ कर चुका लो.” यही कहकर बहला-फुलसाकर दाती महाराज ने 25 साल की लड़की का रेप किया।

पहले आसाराम बापू, फिर बाबा राम रहीम और अब दाती महाराज धर्म के ठेकेदार बने स्वयंभू बाबाओं की पोल एक के बाद एक खुल रही है. धर्म की आड़ में ये तथाकथित साधु-बाबा अपना खुद का साम्राज्य खड़ा कर रहे हैं. आकूत दौलत के स्वामी इन बाबाओं के असली चेहरे आए दिन जनता के सामने आ रहे हैं। दाती महाराज भी उन बाबाओं में से एक हैं. कभी चाय की दुकान पर काम करने वाला मामूली सा मदन लाल कुछ ही सालों में पूरे देश में प्रसिद्ध आश्रम का मालिक बन बैठा। दाती महाराज पर लगे रेप का मामला अब दिल्ली की क्राइम ब्रांच देख रही है। पुलिस की टीम ने पीड़िता के साथ उन स्थानों की भी जांच की जहां पीड़िता ने रेप होने का आरोप लगाया है. दाती महाराज दिल्ली के फतेहपुर बेरी में मशहूर शनिधाम मंदिर के संस्थापक हैं. वो खुद को शनि देव का उपासक बताते हैं. देश में उनकी गिनती हाइप्रोफाइल बाबाओं में होती हैं। पीड़िता ने दाती महाराज पर रेप का आरोप लगाते हुए ये शिकायत छह जून 2018  को लिखी है. एफआई दर्ज होने के बाद पीड़िता का धारा164  के तहत बयान हो चुका है और मेडिकल जांच कराई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश (साल 2014) के मुताबिक पुलिस को रिपोर्ट लिखने के बाद २४ घंटे के अंदर पीड़िता को मजिस्ट्रेट के सामने बयान के लिए पेश करना होगा. किसी भी देरी का कारण लिखित में देना होगा। पीड़िता के वकील भी इस बात को मानते हैं कि पुलिस ने पीड़िता का बयान दर्ज़ करने में देरी नहीं की लेकिन साथ ही क्राइम ब्रांच पर आरोप भी लगाते हैं कि दाती महाराज की गिरफ़्तारी में बिना वजह देरी कर रही है।

पहले बलात्कार का शिकार हुई फिर ‘सिस्टम का-  किसी भी रेप मामले में तीन तरह से साक्ष्य के आधार पर पुलिस कार्रवाई करती है. पहला है शारीरिक साक्ष्य यानी रेप के वक्त ज़ोर ज़बरदस्ती की वजह से शरीर पर कोई निशान हों. दूसरा है बायोलॉजिकल  यानी रेप पीड़िता के कपड़ों पर वीर्य या फिर कुछ ऐसा मिला हो जो दोष सिद्ध करने में सहायक हो,  तीसरा है परिस्थितिजन्य साक्ष्य यानी जिस जगह पर रेप हुआ हो वहां मौजूद लोग या फिर उस जगह की जानकारी। चूंकि इस पूरे मामले में रेप की रिपोर्ट दर्ज कराने में काफी वक्त बीत गया है तो शारीरिक साक्ष्य और बायोलॉजिकल सबूत मिलना मुश्किल है.  पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने कई सवाल तैयार किए थे, जिसके जवाब दाती महाराज से पूछे गए.

क्रिमिनल लॉ (एमेंडमेंट) एक्ट, 2013  के सेक्शन 357  के मुताबिक-  हर सरकारी या ग़ैर-सरकारी अस्पताल बलात्कार पीड़िता का मुफ़्त इलाज करेंगे. लीगल सर्विस अथॉरिटी एक्ट, 1987 के मुताबिक किसी भी महिला, बच्चे, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्ति को राज्य की लीगल सर्विस अथॉरिटी वकील दिलाएगी। पीड़िता आर्थिक मदद या मुआवज़े के लिए लीगल सर्विस अथॉरिटी को याचिका दे सकती है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की योजनाओं के तहत किसी भी हिंसा की शिकार महिला को क़ानूनी मदद, चिकित्सा और काउंसलिंग मुफ़्त में दी जाएगी. बलात्कार पीड़िता किसी भी थाने में अपनी रिपोर्ट लिखवा सकती है चाहे घटनास्थल उस थाने के दायरे में आता हो या ना आता हो. इस एफ़आईआर को ज़ीरो एफ़आईआर कहा जाता है।

रेप मामले में एफआईआर दर्ज होने मात्र पर आरोपी की गिरफ़्तारी हो- ऐसा कानून नहीं कहता है. गिरफ़्तारी आगे की जांच के लिए करना ज़रूरी है. अगर पुलिस को लगता है कि कोई अभियुक्त जाँच में सहयोग नहीं कर रहा या फिर सबूतों से छोड़-छाड़ कर सकता है तो उसे गिरफ़्तार किया जा सकता है. या फिर तब जब पूरी तरह से ये मुकम्मल हो जाए कि रेप अभियुक्त ने ही किया है।

पीड़िता का पक्ष- पीड़िता की वकील प्रदीप तिवारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने उनकी शिकायत काफी इंतज़ार के बार स्वीकार की और चार दिन बाद 10 जून को एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में धारा 376, 377, 354  और 34 का ज़िक्र है। दिल्ली के फतेहपुर बेरी पुलिस के पास ये मामला था, जिसे बाद में क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया है. फ़िलहाल दिल्ली क्राइम ब्रांच इस मामले की पड़ताल कर रही है. दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के सामने वो पेश भी हुए। तकरीबन सात घंटे तक उनसे पूछताछ भी चली लेकिन अब तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। प्रदीप तिवारी के मुताबिक पीड़िता ने प्रधानमंत्री और महिला आयोग समेत 13 एजेंसियों को इस बारे में चिट्ठी लिखी है लेकिन पीड़िता की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने क्राइम ब्रांच पर मामले को अलग दिशा में ले जाने का आरोप भी लगाया।

निजी सेवादार ने लगाए गंभीर आरोप-दाती महाराज की सेवा में पिछले 15 वर्षों से लगे उनके एक सेवादार अचानक उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं. गुरुग्राम के सोहना में रहने वाला सचिन जैन पिछले 15 सालों से दाती महाराज की सेवा में था. अब सचिन जैन खुलकर दाती महाराज पर आरोप लगा रहा है। उन्होंने बताया कि दाती महाराज के कई बड़े नेताओं से भी गहरे संबंध रहे हैं। दाती महाराज शनिधाम में आने वाले अपने शिष्यों से कहा करते थे कि आश्रम पैसों से चलता है, पानी से नहीं। इस तरह दाती महाराज ने करोड़ों-अरबों की अकूत संपत्ति अर्जित की।

राजस्थान के अलावास गांव में हुआ जन्म-दाती महाराज का असली नाम मदन लाल है और वह राजस्थान के पाली जिले के अलावास गांव का रहने वाला है और वह मेघवाल समुदाय से संबंध रखता है. मेघवाल समुदाय ढोल बजाकर अपना परिवार चलाता है. मदन लाल के पिता देवाराम  भी ढोल बजाया करते थे। जानकार बताते हैं कि जब मदन चार महीने का था तब उसकी मां का देहांत हो गया।  मां के बाद पिता देवाराम ने ही बच्चों की देखभाल की, लेकिन कुछ समय बाद देवाराम की भी मृत्यु हो गई।

मदनलाल पंडित चायवाला-बहुत छोटी उम्र में ही मदन गांव के ही एक शख्स के साथ दिल्ली आ गया और पेट भरने के लिए चाय की दुकान पर काम करने लगा. यहां काम सीखकर मदन लाल ने फतेहपुर बेरी में अपनी चाय की दुकान खोल ली और नाम रखा मदनलाल पंडित चायवाला। चाय की दुकान करते-करते वह किसी कैटरिंग वाले के साथ जुड़ गया. वहां कैटरिंग का काम सीखने के बाद उसने खुद अपना कैटरिंग का काम शुरू कर दिया और उसका कैटरिंग का काम भी अच्छा चल निकला।

ज्योतिषी से संपर्क-जानकार बताते हैं कि 1996 में मदन लाल राजस्थान के एक ज्योतिषी के संपर्क में आया और ज्योतिषी से उसने जन्मपत्री बनाने तथा उसे समझने का काम सीख लिया. मदन को ज्योतिषी की इतना चसका लगा कि उसने कैलाश कॉलोनी में खुद का अपना एक ज्योतिषी केंद्र ही खोल लिया और फिर लोगों के भविष्य बांचने लगा. और खुद को दाती मदन राजस्थानी कहलवाने लगा. बताते हैं कि दाती महाराज बने मदन लाल ने एक बार एक नेता की चुनाव जीतने की भविष्यवाणी की और वह नेता चुनाव भी जीत गया. इस पर नेताजी ने खुश होकर फतेहपुर बेरी में स्थित अपना पुश्तैनी मंदिर दाती महाराज को दान में दे दिया. इस तरह दाती महाराज की किस्मत की गाड़ी दौड़ने लगी.

महामंडलेश्वर की उपाधि-दाती महाराज ने आसपास की जमीन पर भी कब्जे कर वहां 7 एकड़ जमीन में शनिधाम नाम से एक आश्रम की स्थापना कर डाली. इस दौरान उसने टीवी चैनलों पर भी अपने कार्यक्रम देने शुरू कर दिए. इस तरह राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकाला मदन लाल शनिधाम का स्वंयभू बाबा दाती महाराज बन कर पूरे देश में चमकने लगा और शनिधाम पर नोटों की बरसात होने लगी.  दाती महाराज को 2010 में हरिद्वार में हुए कुंभ मेले में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई. महामंडलेश्वर की उपाधि मिलने के बाद उसने अपना नाम श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज रख लिया. इससे उनकी प्रसिद्धी और तेजी से फैल गई.

पैतृक गांव में भी आश्रम-इस तरह दाती महाराज ने अपने पैतृक गांव अलावास में भी शनिदेव का एक बड़ा आश्रम बना डाला. यहां उसने बच्चों के लिए एक स्कूल भी खोला हुआ है और एक बड़ी गौशाला बनाई हुई है. स्कूल में सैकड़ों बच्चे पढ़ते हैं. अब दाती महाराज एक मेडिकल कॉलेज भी खेलने जा रहे थे. इसके लिए उन्होंने जमीन लेकर काम भी शुरू करवा दिया है।

प्रसिद्धि के लिए मीडिया का सहारा-दाती महाराज ने खुद को चमकाने लिए मीडिया का खूब सहारा लिया. बताते हैं कि ‘शनि शत्रु नहीं मित्र है’ नामक कार्यक्रम वह पहले पैसे देकर टीवी चैनलों पर चलवाया करता था. प्रसिद्धि मिलने के बाद कई चैनलों पर उसके कार्यक्रम आने लगे. शनि अमावस्या पर वह बड़ा कार्यक्रम आयोजित करवाता है, जिसमें उसे देश-विदेश से करोड़ों रुपये चंदा मिलता है. शनिधाम डॉट कॉम से उसकी एक वेबसाइट भी है और 60 से अधिक पत्रिकाओं का प्रकाशन हो होता है।

दिल्ली पुलिस का पक्ष-दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश देव के मुताबिक, “पीड़िता ने जो आरोप लगाया है वो काफी संगीन हैं. हमारी जांच जारी है. हमने किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है. दाती महाराज के ख़िलाफ़ सबूत पर्याप्त होने पर उनकी गिरफ़्तारी होगी. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक रेप होने के कुछ घंटे के भीतर अगर शिकायत दर्ज की जाती है तो सबूत मिलने में न तो देरी होती है न ही मुश्किल. ये मामला जनवरी से मार्च 2016 का है. दो साल से ज़्यादा का वक्त बीत चुका है।

 

 

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